छत्तीसगढ़ महिला एवं बाल विकास में महिला पर्यवेक्षक भर्ती के लिए महत्वपूर्ण अधिनियम -
1 बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006
बाल विवाह क्या है ?
बाल विवाह का तात्पर्य है की राज्य में लड़के और लड़िकियॉं की शादी बचपन में कर देना ही बल विवाह है जैसे की यदि किसी बच्चे की शादी १८ वर्ष से पहले की जाती है तो ये बाल विवाह में आता है और शादी 21 वर्ष पहले कर दी जाए तो ये बाल विवाह के अंतर्गत आता है .
अधिनियम कब लागु हुआ -
इस अधिनियम को भारत सरकार द्वारा 2006 में लागु किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य बाल विवाह पर रोक लगाना है।
बाल विवाह में दंड -
प्रतिषेध अधिनियम 2006 के धारा 9 के अनुसार यदि कोई व्यस्क पुरुष १८ वर्ष से काम आयु के लड़की से शादी करता है तो उन्हें २ साल की जेल या 1 लाख की जुर्माना या /दोनों हो सकती है।
2 दहेज़ निषेध अधिनियम 1961 \
दहेज़ निषेध अधिनियम 1961 के तहत दहेज़ लेने या देने में सहयोग करने वाले को 5 वर्ष की सजा ये 15000 रुपये जुर्माना में देना। होगा वही दहेज़ लेने वाले लड़की के पति या उनके रिस्तेदार को 3 वर्ष की सजा या जर्मन का प्रावधान है। वही यदि इस स्थिति में लड़की की मृत्यु होने पर इनके पति और रिस्तेदार को 7 वर्ष की सजा या जुर्माना हो सकता है या दोनों हो सकता है।
दहेज़ अधिनियम की धाराएं -
धारा २ दहेज़ का मतलब है की किसी भी प्रकार की बहुमूल्य वास्तु या प्रतिभूति देना या देने के लिए प्रयत्न करना या एक पक्षकार को दूसरे पक्षकार द्वारा देना।
धारा 3 लेने या देने का अपराध करने वाले को कम से कम 5 वर्ष की कारावास साथ में कम से कम 15000 हजार रुपए या देइये गए उपहार में जिसकी कीमत अधिक हो उसकी बराबर की राशि जुर्माने की सजा होगी।
"लेकिन वर वधु को उपहार दिया जाएगा और उसे नियामानुसार सूचि बद्ध किया जायेगा वह दहेज़ की परिभाषा से बाहर होगा।
धारा 4 प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से दहेज की मांग करने वाले को दो वर्ष की सजा या १० हजार रुपए जुर्माना हो सकता है।
धारा 4 ए किसी भी व्यक्ति द्वारा पुत्र पुत्री की शादी की एवज मेर मिडिया के माध्यम से प्रकाशन कर व्यवसाय या संपत्ति में हिस्से का प्रस्ताव भी दहेज़ की श्रेणी में आता है और उसे 6 माह से 5 वर्ष तक कारावास हो सकता हैं।
धारा 6 इसके अंतर्गत यदि कोई दहेज़ विवाहिता के अतिरिक्त अन्य धारण करता है तो या विवाहिता के नाबालिक होने पर उसके बालिक होने के एक वर्ष के भीतर अंतरित कर देगा यदि विवहिता की मृत्यु होने पर उसके संतान को ,या संतान नहीं होने पर इसके परिजन को अंतरण कर दिया जायेगा।
धारा 8ए यदि घटना के एकवर्ष के अंदर शिकायत की गयी हो तो न्यायलय पुलिस रिपोर्टे या क्षुब्ध द्वारा शिकायत किये जाने पर संज्ञान ले सकेगा।
धारा 8 बी दहेज़ निषेध पदाधिकारी की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा जो नियम का अनुपालन कराएगा या दहेज़ लेने या देने से रोकने या अपराध करीत करने से सम्बंधित साक्ष्य जुटाएगा।
"यदि मुस्लिम पर्सनल लॉ लागु होने पर मेहर की रकम सम्मलित नहीं की जाती है"
टोनही प्रतारणा अधिनियम 2005
टोनही प्रतारणा अधिनियम सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में 30 सितम्बर 2005 को लागु किया गया इसके लिए एक वर्ष का कठोर कारावास या जुर्माना हो सकता या दोनों हो सकता है।
राजपत्र में प्रकाशित अधिनियम देखें
बाल श्रम अधिनियम
बाल श्रम अधिनियम सबसे पहले कारखाना ने कार्य करने वाले बच्चों के उनके कार्यों को घंटों में निश्चित करने के लिया 1881 में बनाया गया। 1929 में कार्यरत बच्चों की उम्र के लिए आयोग का गठन किया गया। इस आयोग के सुझाव पर 1933 बाल श्रम अधिनियम बनाया गया जिसमे पहिली बार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को काम पर रोक लगाया गया। इसके बाद संविधान के उपबंधों केअनुसार बाल श्रम पर प्रतिबन्ध लगना है। साथ ही बच्चों के कार्य की दशाओ को नियमित करना है। जिसे 1986 में लागु किया गया।
हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न -बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के किस धारा में बाल विवाह से बालको का भरण पोषण और अभिरक्षा उपबंधित है?
उत्तर - बल विवाह प्रतिषेध अधिनियम में बालकों को भरण पोषण के लिए धारा 5 में उपबंधित है।
प्रश्न -दहेज़ निषेध अधिनियम के तहत कितने वर्षों की सजा हो सकती है?
उत्तर- 7 वर्ष और जुर्माना या दोनों हो सकता है।
प्रश्न -दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3 क्या कहती हैं
उत्तर - धारा 3 लेने या देने का अपराध करने वाले को कम से कम 5 वर्ष की कारावास साथ में कम से कम 15000 हजार रुपए या देइये गए उपहार में जिसकी कीमत अधिक हो उसकी बराबर की राशि जुर्माने की सजा होगी।