जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही - jila gaurela pendraa marvahi



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नमस्कार साथियों आज हम इस आर्टिकल में छत्तीसगढ़ के नवीनतम जिला - गौरेला पेंड्रा मरवाही के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देंगे इसके लिए आपको इस आर्टिकल में अंत तक  जरूर पढ़ें। 

चालों साथियों छत्तीसगढ़ की कुछ इतिहास जान लेते है।  जिस समय छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया उस समय छत्तीसगढ़ में कुल 16 जिले थे। राज्य के बनने के बाद 11 मई 2007 को पहिली बार नए जिलों का निर्माण किया गया जिसमे नारायणपुर और बीजापुर को जिला बनाया गया। जिससे कुल 18 जिला हो गए। 

 इसके बाद 01 जनवरी 2012 को नए जिला  के  रूप में अलग- अलग  जिलों से कटकर 09 नए जिले का निर्माण किया गया जिसमे रायपुर से दो जिले - बलौदा बाजार ,और गरियाबंद  दुर्ग से दो जिले - बेमेतरा और बालौद, बिलासपुर से मुंगेली बनाया गया।  सरगुजा से बलरामपुर और सूरजपुर , बस्तर से कोंडागांव बनाया गया  और दंतेवाड़ा से सुकमा जिला का निर्माण किया गया।  इस तरह प्रदेश में कुल जिलों की संख्या 27 हो गयी थी।

इसके बाद 15 अगस्त 2019 को मुख्यमंत्री जी के द्वारा नए जिले के रूप में गौरेला पेंड्रा मरवाही को नए जिले बनाने की घोषणा की। ये जिला 10 फरवरी 2020 को छत्तीसगढ़ के 28 वे जिले के रूप में अस्तित्व मे आया इस जिले का निर्माण बिलासपुर जिले से अलग कर के किया गया। 

  बिलासपुर से अलग होने वाला  चौथा जिला - गौरेला पेंड्रा मरवाही 
 बिलासपुर जिला अपने आप से अबतक कुल चार जिलों को अलग कर चूका है। इसमें सबसे पहले कोरबा और जांजगीर चंपा को मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 1998 में बिलासपुर से  अलग कर नए जिले का निर्माण किया गया था।   
इसके बाद 2012 में मुंगेली  को बिलासपुर से अलग कर नया जिला बनाया गया था। जो बिलासपुर से अलग करने वाला तीसरा जिला बना और अब 10 फरवरी 2020 को पेंड्रा गौरेला मरवाही को चौथे जिले के रूप में निर्माण किया गया।   

पेंड्रा गौरेला मरवाही जिला से जुडी महत्वपूर्ण बातें -
पेंड्रा गौरेला मरवाही जिला वनसंसाधनो से भरापूरा जिला है।  यहाँ खनिज संसाधन ,औषधि  पौधों से भरा पूरा है।

गॉव और क्षेत्रफल -

गौरेला पेंड्रा जिले की मांग पिछले 25 वर्षों से चली आ रही थी जो 2020 में जाकर पूरा हुआ। इस जिले में तीन तहसील और तीन विकासखंड (पेंड्रा, गौरेला, मरवाही ) है।  इस जिले में कुल 166 ग्रामपंचायत और कुल गाँव की संख्या 225 है।  इसकी कुल क्षेत्रफल 1 लाख 68 हजार 225 हेक्टेयर है।

विधानसभा और लोकसभा - 
विधान सभा की दृस्टि से देखें तो 200 गॉंव मरवाही विधान सभा और 25 गॉव कोटा विधानसभा के गॉव को मिलकर बनाया गया है।  लोकसभा में कोरबा लोकसभा क्षेत्र के 200 गॉव और बिलासपुर लोकसभा के 25 गॉव को मिलकर बनाया गया है।

जनसंख्या -
 जनगणना 2011 के अनुसार इस जिले की कुल जनसँख्या 3 लाख  36 हजार 420 था।  इसमें सबसे अधिक आबादी गौरेला विकासखंड में निवास कराती है।

जिले की स्थिति - 
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला अंतर राज्यीय सिमा से जुड़ती है।  ये जिला पश्चिम में मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिला से जुड़ती है पूर्व  में कटघोरा जिला कोरबा से जुड़ती है उत्तर में मनेन्द्रगढ़ जिला कोरिया से जुड़ती है।  और दक्षिण में लोरमी जिला मुंगेली और कोटा जिला बिलासपुर से जुड़ता है।

इतिहास -
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला का इतिहास परिदृश्य से महत्वपूर्ण है यहाँ पेंड्रा से छत्तीसगढ़ की प्रथम मासिक अखबार छत्तीसगढ़ मित्र का प्रकाशन  1900 में माधवराव सप्रे द्वारा किया गया था।

 पर्यटन -
पर्यटन के लिहाज से इस जिले महत्वपूर्ण स्थानों में से एक कबीर चबूतरा है। ऐसा मन जाता है की यहाँ पर गुरुनानक देव और कबीर दास  जी एक दूसरे से मिले थे और उनके बिच  गहन चिंतन  हुआ था।


नदी - 
अरपा नदी - 
अरपा नदी का उद्गम  पेंड्रा जिला के खोडरी खोंगसरा से हुआ है।  ये शिवनाथ नदी की प्रमुख सहायक नदीयों में से एक है।

विशेष -

गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला प्राकृतिक रूप से बहुत ही मनोरम है। पूरा जिला वन आच्छादित जिला है।  यहाँ बहुत से औषधि पेड़ पौधे भी है।  यहाँ की बिष्णुभोग का चावल देश विदेश तक  ख्याति प्राप्त की है।
साथ ही यहाँ की वन औषधि महत्वपूर्ण है और उपयोगी है।

आपके जानने योग्य बिंदु -

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