CHHATTISGARH KI RIYASATEN/छत्तीसगढ़ की रियासतें

chhattisgarh ki riyasaten

 
छत्तीसगढ़ में अंग्रेजों के आने के बाद 1662 में सर रिचर्ड टेम्पल के द्वारा जमींदारी की सर्वेक्षण फिर से कराया और उसे दो भागों में बात दिया जिसमे पहला जागीरदारी (रियासत) दूसरा जमींदारी ,ये प्रक्रिया 1864 में हुआ। 
 पहले जागीरदारों को फ्यूडेटेरी चीफ ,फिर रूलिंग चीफ अथवा राजा कहा गया। दूसरे वर्ग के  जमींदार कहा गया। 

1865 में छत्तीसगढ़ के 14 जमीदारों को रियासत प्रमुख बनाया गया शेष सभी को साधारण जमींदार के रूप में ही रखा गया। 

छत्तीसगढ़ के 14 प्रमुख रियासतें थे जिनमे पांच उड़िया भाषीय थे - कालाहांडी ,पटना ,रायखोल ,बांबरा ,तथा सोनपुर बाकि सभी 09 रियासते बस्तर ,कांकेर ,राजनांदगॉंव ,खैरागढ़ ,छुईखदान ,कवर्धा ,सक्ति ,रायगढ़ ,सारंगढ़  हिंदी भाषिय थे। 

1905 में इनमे से 5 उड़िया भाषी 5 रियासते सम्बलपुर के साथ बंगाल प्रान्त में मिला दिया गया और बंगाल प्रान्त के छोटा नागपुर क्षेत्र से (बिहार से)सरगजा (अंबिकापुर) उदयपुर ,जशपुर,कोरिया,और चांगभखार को मध्य प्रान्त के छत्तीसगढ़ संभाग में शामिल कर दिया गया। 

छत्तीसगढ़ के रियासतें 

बस्तर रियासत 

सस्थापक - प्रतापरूद्र  द्वितीय 
छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी रियासत थी जिसका क्षेत्रफल 33438 वर्ग किमी था इसकी राजधानी जगदलपुर था 1777 में बस्तर मराठो के अधीन आ  गया। 1819 में अंग्रेजअधीक्षक मि.एगन्यु ने बस्तर के राजा महिपाल से मिल कर एक इकरारनामा में हस्ताक्षर कराया जिसमे राशि 3056 रु तीन किस्तों में निर्धारित किया गया। 

लार्ड डलहौजी के निषेध कानून के तहत 13 मार्च 1845 नागपुर का राज्य ब्रिटिश भारत में शामिल कर लिया गया। दिसम्बर 1947 को बस्तर रियासत  का भारत संघ में विलय हो गया। 

कांकेर रियासत - 

प्राचीन नाम - कांकराय (शिलालेखों में ताम्रपत्र) 
क्षेत्रफल - 1426 वर्ग किमी  
राजधानी - कांकेर 
20 मई 1865 में इस रियासत का ब्रिटिश सरकार ने एडाप्सन सनद कर विलय कर लिया विलय के समय यहाँ के राजा भानुप्रताप देव थे। 

राजनांदगॉंव रियासत -
छत्तीसगढ़ का सबसे अधिक टकोली कर पटाने वाला रियासत था। इसका विस्तार 871 वर्ग किमी था।  ब्रिटिश   सरकार ने इसे 1865 में एडाप्सन सनद दिया।  और महंत  घासीदास को फ्युडटरी चीफ बनाया। 

खैरागढ़  रियासत - 
वंश - नागवंशी राजपूत 
पुरानी राजधानी - खोलवा 
नयी - खैरागढ़ (खडगराय ने खैरागढ़ को राजधानी बनायी)
क्षेत्रफल - 931 वर्ग मिल 
1865 में एडाप्सन सनद के तहत ब्रिटिश सरकार में विलय कर लिया गया। फिर सभी रियासतों के विलय के समय इसे भारत संघ में विलय कर लिया गया विलय के समय यहाँ के राजा वीरेंद्र बहाद्दुर सिंह थे। 

छुईखदान रियासत - 

इसका नाम छुई नमक मिटटी के खदान होने के करण पड़ा। 
क्षेत्रफाल - 154 वर्ग किमी 
विलय - 1865 में 
विलय के समय शासक -महंत लक्ष्मण दस 
इस रियासत को सामंतीय राज्य के रूप में मान्यता थी। 

कवर्धा रियासत -
सस्थापक - महाबली सिंह 
क्षेत्रफल -798 वर्गमील 
राजा बहादुर सिंह के समय सामंतीय राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। 1865 ई में यहाँ के राजा को एडॉप्शन सनद प्राप्त हुआ।  1947 में भारत संघ में विलय किया गया , विलय के पात्र पर हस्ताक्षर करने वाले राजा  धर्मराज सिंह थे। 

सारंगढ़ 
स्थापना - जगदेव साय 
क्षेत्रफल - ५४० वर्गमील 
3 नवम्बर 1909 में जवाहर सिंह को रायपुर आम दरबार में प्रथम सामंत राजा के  रूप में सत्तारूढ़ किया गया। 


रायगढ़ -
स्थापना - मदनसिंह 
क्षेत्रफल - 1486 वर्गमील 
मदनसिंह ने 1550 ई में रायगढ़ में पहली बार स्वतन्त्र सत्ता स्थापित किया। 
25 मई 1819 में रायगढ़ राजा और अंग्रेजों के बिच समझावता हुआ जिसमे राजा ने टकोली कर देना स्वीकार किया। 
1867 में राजा घनश्याम सिंह को एडाप्शन सनद दिया गया। भारत संघ में विलय के समय रायगढ़ रियासत का राजा ललित कुमार सिंह थे।  

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उदयपुर -
इस रियासत का क्षेत्रफल 1052 वर्गमील है जिसे 1860 ई में रियासत का दर्जा प्राप्त हुआ। इस समय तात्कालिक राजा विधेश्वर प्रसाद सिंह देव  थे। इन्हे "राजा बहादुर" और "सितारे हिन्द" की उपाधि प्राप्त थी। 

जशपुर-
यंहा पर डोम शासकों का शासन था जिसका विस्तार 1948 वर्गमील पर था।  भारत संघ में विलय के समय यंहा के राजा भूषण सिंह में विलय पत्र में हस्ताक्षर किया। 

सरगुजा - 
क्षेत्रफल - 6055 वर्गमील 
1899 में लार्ड कर्जन द्वारा एक सनद दिया और सामंत राजा के रूप में मान्यता दी। 
यहाँ के राजा रामानुजन सिंह ने अंग्रेजों को प्रथम विश्व युद्ध के समय आर्थिक मदद पहुचायी थी। 
अंग्रेजों ने इन्हे "कमांडर ऑफ़ ब्रिटिश इम्परर"उपाधि दी थी। 
भारत संघ में विलय 19 दिसंबर 1947 ई को हुआ जिसमे राजा रामानुज सिंह ने हस्ताक्षर किया। 

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कोरिया - 
कोरिया कोल शासकों ने शासन किया ,क्षेत्रफल 1631 वर्गमील  था।  इस समय तात्कालिक राजा गरीब सिंह  ने 24 दिसंबर 1819 में एक कबूलियत नामा लिख कर अंग्रेजों की सम्प्रभुता स्वीकार की और टकोली देना स्वीकार किया  .
रामानुज प्रताप सिंह ने छोटे राज्यों के प्रतिनिधि बनकर 1931 में गोलमेज सम्मलेन में शामिल होने लन्दन गए थे। 

चांगभखार रियासत - 
इसका सम्बन्ध कोरिया राज परिवार से था 1819 में अंग्रेजों का सम्प्रभुत्ता प्राप्त हुई तो  उन्होंने इसे  अलग रियासत का बनाया। इसकी राजधानी भरतपुर  इसका क्षेत्रफल 904 वर्गमील था 
भारत संघ में विलय 3 दिसंबर 1947 में हुआ। 

सक्ति रियासत 
ये छत्तीसगढ़की रियासतों में सबसे छोटी रियासत थी इसका क्षेत्रफल 138 वर्गमील था। 
इस रियासत की स्थापन हरी और गुर्जर नामक दो राज गोड़ों ने किया था। 
1865 में सक्ति को एडाप्सन सनद दिया गया। भारत संघ में विलय के समय यहाँ  जमींदार लीलाधर थे।  विलय पत्रों में जमींदार लीलाधर ने हस्ताक्षर किया। 

स्वतन्त्रा के पूर्व हमारे राज्य में कुल तीन जिले हुआ करते थे बिलासपुर १८६१ रायपुर 1861 दुर्ग 1906  
स्वतन्त्रा प्राप्ति के बाद 1948 में रियासतों को जिलों में मिलाया गया और नए जिलों का गठन किया गया। 
बस्तर जिला- जिसमे बस्तर रियासत और कांकेर रियासत 
दुर्ग जिला - राजनांदगाव , खैरागढ़ ,छुईखदान ,कवर्धा रियासतों का विलय 
बिलासपुर - सक्ति रियासत 
रायपुर  - कोई रियासत का विलय नहीं हुआ 
रायगढ़ जिला - रायगढ़ रियासत ,धरमजयगढ़ रियासत ,जशपुर रियासत , सारंगढ़ रियासत 
सरगुजा जिला-  कोरिया रियासत ,चांगभखार ,सरगुजा 
 
छत्तीसगढ़ विशेष सामान्यज्ञान - 


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