*** छ. ग. की भूगर्भिक संरचना ***
किसी भी क्षेत्र की भू-गर्भिक संरचना से उस क्षेत्र मिटटी खनिजों की उपलब्धता, वनो की विविधता एवं कृषि योग्य भूमि का अभिन्न सम्बन्ध है. जो अलग - अलग शैल समूहों से बना होता है। छ. ग. निम्न प्रकार के शैल समूह पाए जाते है।
- आर्कियन युग (आघ महाकल्प )शैल समूह
- धारवाड़ शैल समूह
- कड़प्पा शैल समुह
- विंध्यन शैल समूह
- प्री कैम्ब्रियन शैल समूह
- गोंडवाना शैल समूह
- दक्कन ट्रेप एवं लमेटा
- लैटेराइट शैल समूह
- अलूवियन (जलोढ़ )शैल समूह
आर्कियन युग (आघ महाकल्प )शैल समूह :-
- ये पृथ्वी की सबसे पुरानी और कठोर चट्टान है।
- छत्तीसगढ़ की 50 % भू- भाग में पायी जाती है।
- ये सर्वाधिक गहराई में पायी जाती है।
- इसमें जीवाश्म नहीं पाया जाता।
- इन चट्टानों में ग्रेनाइट ,फेल्सपार ,क्वार्ट्ज खनिज पाए जाते है।
प्रमुख चट्टान :-
- ग्रेनाइट
- शिस्ट
- पूर्वी बघेलखण्ड में अंबिकापुर
- सामरी पाठ में जशपुर
- कुछ भाग लोरमी (मुंगेली ), पंडरिया (कबीरधाम )
दक्षिण में :-
- चारामा जिला कांकेर
- भानुप्रताप पुर जिला कांकेर
- जगदलपुर जिला बस्तर
- नारायणपुर
- दंतेवाड़ा
अनाज का उत्पादन :-
मोठे अनाज -कोदो ,रागी ,मक्का ,बाजरा
धारवाड़ शैल समूह :-
- इसका निर्माण आर्कियन चट्टानों के अपरदन से होता है।
- सर्वाधिक लौह अयस्क पाए जाते है।
- इसमें जीवाश्म नहीं पाया जाता है।
चट्टान :-
- माइकाशिष्ट
- स्लेट
- क्वार्टजाइट
विस्तार :-इसका विस्तार 3 सीरीज में है
- चिल्फी घाटी जिला मुंगेली
- सोनाखान -जिला बलौदाबाजार
- दुर्ग बस्तर लौह अयस्क सीरीज
कड़प्पा शैल समुह :-
- इसका नामकारण तेलंगाना के कुडप्पा जिले के नाम पर पड़ा
- ये दूसरा बड़ा शैल समूह है।
- इस शैल समूह का विस्तार मैदानी क्षेत्र में है।
- छत्तीसगढ़ के 30 %भाग में स्थित है।
- ये परतदार शैल समूह है।
- जीवाश्म का आभाव होता है।
- कडप्पा चट्टान चूनापत्थर के लिए प्रसिद्ध है।
- सबसे अधिक चूनापत्थर रायपुर सीरीज में पाया जाता है।
- यह फसल कृषि कार्य हेतु उपयोगी है।
- सर्वाधिक धान की फसल का पैदावार होता है।
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक धान का पैदावार जांजगीर चंपा जिला में होता है..
चट्टान :-
- चूनापत्थर
- डोलोमाइड
विस्तार :- इसे दो वर्गों में बांटा गया है -
रायपुर सीरिज -(रायपुर , बिलासपुर , दुर्ग )
चंद्रपुर सीरिज -(जांजगीर चंपा ,रायगढ़ (पश्चिमी हिस्सा ))
खनिज -चूनापत्थर डोलोमाइड
विशेष -जगदलपुर क्षेत्र में बिजावर कडप्पा शैल की प्राप्ति होती है।
विंध्यन शैल समूह :-
- इस शैल समूह का निर्माण कडप्पा के अपरदन से होता है।
- ये परतदार चट्टान होते है।
- फसल के लिए अनुपयुक्त होता है।
विस्तार :-रायपुर ,बालोद ,जगदलपुर के कुछ क्षेत्रों पायी जाती है
प्री कैम्ब्रियन शैल समूह :-
- ज्वालामुखी उदभेदन से बने कडप्पा समूह के दक्षिण पश्चिम भाग में निर्माण हुआ है।
- दुर्ग बालोद ,जिला एवं राजनांदगाव के कुछ क्षेत्रो है।
गोंडवाना शैल समूह :-
निर्माण -पृथ्वी पर दबे जीवाश्मों पर दबाव और तापमान से निर्मित होता है।
विस्तार:-
- बिलासपुर
- कोरबा
- कोरिया
- सरगुजा
- रायगढ़
* इसका मुख्य खनिज कोयला है।
इसे तीन सीरीज में बांटा गया है -
- अपर गोंडवाना -कोरिया सरगुजा
- लोवर गोंडवाना - बिलासपुर , कोरबा , रायगढ़
- मिडिल गोंडवाना - छ.ग. में इसका विकास नहीं हुआ है।
- गोंडवाना चट्टानों में वाले सबसे अधिक खनिज -कोयला
- इस शैल समूह में मछली और रेंगनेवाले जीवो अवशेष मिले है।
- भारत का लगभग 98 %कोयला इन्ही चट्टानों से प्राप्त होता है।
- छत्तीसगढ़ में गोंडवाना चट्टानों का अध्ययन किया -मेडलिकोट 1872
- मेडलिकोट ने ही इसे छत्तीसगढ़ में गोंडवाना नाम दिया।
- पहली बार गोंडवाना शब्द का प्रयोग फोस्टरमेंट ने किया था।
दक्कन ट्रेप एवं लमेटा :-
निर्माण :-
- लावा के जमे से बेसाल्ट चट्टानों के अपरदन से इसका निर्माण होता है।
- दक्कन ट्रेप के अपरदन से काली मिटटी का निर्माण होता है।
- काली मिटटी कृषि कार्य के लिए उपयुक्त होता है।
- काली मिटटी का वरदान कहलाता है - कपास
मैकाल पर्वत श्रेणी -मुंगेली , कवर्धा
कुछ अन्य क्षेत्र -कोरबा ,जशपुर ,
विशेष :- दक्कन ट्रेप में बाक्साइड का भंडार है।
लैटेराइट शैल समूह:-
दक्कन ट्रेप के अपरदन से बनता है।
इसमें फसल उत्पादन काम होती है।
विस्तार :- बिलासपुर , रायगढ़ , जशपुर
अलूवियन (जलोढ़ )शैल समूह :-
निर्माण :- ये शैल समूह घाटों के किनारे पायी जाती है।
नदी के किनारे को कछार कहा जाता है।
इस मिटटी का अन्य नाम कछारी मिटटी है।
विस्तार :-सरगुजा , जशपुर
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छत्तीसगढ़ का भूगोल
Jor dar hai bai AP man ke cg pustk ha
ReplyDeleteOsm notes
ReplyDeleteथैंक्स यू
DeleteDhanywad sir ji...aise hi achchhe notes ki asha krte hain apse.
ReplyDelete👍thankyou sir
ReplyDeleteकम शब्दों ,छोटी -छोटी पंकितयों में टॉपिक वॉइस, बहुत सुंदर सर जी।
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