छत्तीसगढ़ के इतिहास में दंडकारण्य क्षेत्र का विशेष महत्त्व है। समय समय पर इस क्षेत्र में अनेक शासकों ने शासन किया। जिसका प्रभाव अन्य भागों पर भी पड़ा। यहाँ प्रागैतिहासिक काल के साक्ष्य के आलावा क्षेत्रीय नागवंशो का शासन रहा।शिलालेखों और विद्वानों के शोध से पता चलता है की बस्तर में शासन करने वालों में नल वंश फिर नागवंश ,और फिर काकतीय वंश का शासन रहा। काकतीय वंश का शासनकाल सबसे अधिक समय तक रहा। जिसके अंतिम शासक प्रवीरचंद भंजदेव थे इन्होने ही जब देश आजाद होने के बाद 1 जनवरी 1948 को बस्तर का विलय भारत गणराज्य में कर दिया। बस्तर में आज भी राजपरिवार वहा निवास रत है।
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छत्तीसगढ़ का इतिहास