छत्तीसगढ़ के बस्तर में छिन्दक नागवंश के शासन के बाद काकतीय वंश का शासन काल प्रारम्भ हुआ। इनके सम्राज्य की स्थापना 1324 में हुआ। इसके संस्थापक अन्नमदेव था जिसने छिन्दक नागवंश के शासक हरिश्चंद्र को पराजित कर बस्तर में काकतीय वंश की स्थापना की। ये बस्तर में सबसे लम्बे समय तक शासन करने वाला वंश रहा। इस वंश के शासन काल में मराठों के आक्रमण और ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना हुई।
प्रमुख शासक
➤अन्नमदेव -
शासन काल -1324 से 1369 तक
शासनकाल - 1410 से 1468 तक
➤छत्तीसगढ़ में सोमवंशी शासनकाल
➤पुरुषोत्तम देव
प्रमुख शासक
➤अन्नमदेव -
शासन काल -1324 से 1369 तक
- काकतीय वंश के संस्थापक थे।
- राजधानी - मधोता (बस्तर)
- निर्माण - दंतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा ,
- बस्तर लोकगीतों में इन्हे चालाकी वंश के राजा (चालुक्य वंश)कहा गया है।
शासनकाल - 1369 से 1410 तक
➤भैरमदेव - शासनकाल - 1410 से 1468 तक
➤छत्तीसगढ़ में सोमवंशी शासनकाल
➤पुरुषोत्तम देव
- शासनकाल -1468 से 1534 तक
- राजधानी- मधोता से बस्तर परिवर्तित किया।
- उपाधि - रथपति की उपाधि पूरी के शासक द्वारा
- प्रारम्भ - बस्तर में रथयात्रा प्रारम्भ किया
- गोंचा पर्व प्रारम्भ किया ,बस्तर दशहरा का प्रारम्भ
शासनकाल -1534 से 1558 तक
➤ नरसिंह देव -
शासन काल - 1558 से 1602 तक
➤प्रताप राज देव
शासनकाल - 1602 से 1625 तक
इन्होने हैदराबाद के कुलिकुतुबशाह की सेना को पराजित किया था।
➤जगदीश राज देव
शासनकाल - 1625 से 1639 तक
➤वीरनारायण देव
शासनकाल -1639 से 1654 तक
➤वीरसिंह देव
शासनकाल -1654 से 1680 तक
बस्तर राजपुर कीला का निर्माण कराया।
➤दिक्पाल देव
शासनकाल 1680 से 1709 तक
➤राजपाल देव
शासनकाल - 1709 से 1721 तक
इसकी उपाधि - प्रौढप्रतापचक्रवर्ती
➤चंदेल मामा
शासनकाल - 1721 से 1731 तक
➤दलपत देव
शासनकाल - 1721 से 1774 तक
राजधानी - जगदलपुर
पहला भोसला(मराठा ) आक्रमण 1770 में हुआ था इसे भोसला शासक के सेनापति निलुपंत ने किया जिसमे असफल रहे।
इसके शासनकाल में बंजारा जाती द्वारा वस्तुविनिमय प्रारम्भ हुआ था।
➤अजमेर सिंह देव -
शासनकाल - 1774 से 1777 तक
इसे बस्तर क्षेत्र के क्रांति प्रारम्भ हुआ
अजमेर सिंह राजा बनाने से पहले डोंगर क्षेत्र के अधिकारी पद पर थे
इनके शासनकाल में प्रथम जनजाति विद्रोह हुआ जिसे हल्बा विद्रोह कहतेहै।
इनकी हत्या इसके भाई दरियाव देव ने कूटनीति से करा दी।
➤दरियाव देव
शासनकाल - 1777 - से 1800 तक
इसके शासन काल से ही काकतीय वंश मराठो के अधीन हो गया
इसके शासन भोपालपटनम का संघर्ष हुआ
कोटपाड़ की संधि इसके शासन काल में हुआ
बस्तर छत्तीसगढ़ का अंग भी बना
➤महिपाल देव
शासनकाल - 1800 से 1842 तक
कोटपाड़ संधि का उल्लंघन किया जिसके परिणाम स्वरूप मराठों ने आक्रमण किया।
इनके शासनकाल में परलकोट का विद्रोह गेंद सिंह के नेतृत्व में हुआ था।
➤भूपाल देव -
शासनकाल - 1842 से 1853 तक
इसके शासन काल में मेरिया 1842 विद्रोह हुआ एवं तारा पुर विद्रोह भी हुआ था
➤भैरम देव
शासनकाल - 1853 से 1891 तक
छत्तीसगढ़ के ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन पहला शासक था।
इसके शसन काल में यूरोपियन यात्री चार्ल्स सी इलियट 1856 में बस्तर आये थे।
इनके शासन काल में तीन जनजाति विद्रोह हुआ
लिंगागिरी विद्रोह - 1856 कोई विद्रोह 1859 और मुड़िया विद्रोह 1876 में हुआ था।
➤रानी चोरिस -
इनका मूल नाम - जुगराजकुवर
ये अपने पति भैरम देव के विरुद्ध विद्रोह किया था जिसके कारण इन्हे छत्तीसगढ़ की प्रथम विद्रोही महिला कहा जाता है।
➤ रुद्रप्रताप देव -
शासन काल - 1891 से 1921 तक
उपाधि - सेंट ऑफ़ जेरुसलम (अंग्रेजों द्वारा )
जगदलपुर के चौराहों का निर्माण कराया जिसके कारन जगदल पुर को चौराहों का शहर कहा जाता है।
इनके घौतीपोनि प्रथा का प्रचलन था।
इसके शासन काल में महत्वपूर्ण विद्रोह गुण्डाधुर के नेतृत्व में 1910 में प्रारम्भ हुआ जिसे बस्तर का प्रसिद्द भूमकाल विद्रोह कहा जाता है
➤महारानी प्रफुल्ल देवी
शासनकाल 1921 से 1936 तक
छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला शासिका थी
➤प्रवीरचंद्र भंजदेव -
शासनकाल - 1936 से 1961 तक
ये ब्रिटिश शासन के अधीन अंतिम शासक और स्वतन्त्र भारत में छत्तीसगढ़के बस्तर का प्रथम स्वतन्त्र शासक था.
इसके नाम पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा तीरंदाजी के क्षेत्र में पुरस्कार दिया जाता है।
इसके शासनकाल में बस्तर भारतीय संघ में विलय हुआ और बस्तर 1948 में जिला बना।
यहाँ भी देखें छत्तीसगढ़ की सामान्यज्ञान
➤छत्तीसगढ़ के प्रमुख क्षेत्रीय राजवंश
➤छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास में महाजनपद काल
➤प्रताप राज देव
शासनकाल - 1602 से 1625 तक
इन्होने हैदराबाद के कुलिकुतुबशाह की सेना को पराजित किया था।
➤जगदीश राज देव
शासनकाल - 1625 से 1639 तक
➤वीरनारायण देव
शासनकाल -1639 से 1654 तक
➤वीरसिंह देव
शासनकाल -1654 से 1680 तक
बस्तर राजपुर कीला का निर्माण कराया।
➤दिक्पाल देव
शासनकाल 1680 से 1709 तक
➤राजपाल देव
शासनकाल - 1709 से 1721 तक
इसकी उपाधि - प्रौढप्रतापचक्रवर्ती
➤चंदेल मामा
शासनकाल - 1721 से 1731 तक
➤दलपत देव
शासनकाल - 1721 से 1774 तक
राजधानी - जगदलपुर
पहला भोसला(मराठा ) आक्रमण 1770 में हुआ था इसे भोसला शासक के सेनापति निलुपंत ने किया जिसमे असफल रहे।
इसके शासनकाल में बंजारा जाती द्वारा वस्तुविनिमय प्रारम्भ हुआ था।
➤अजमेर सिंह देव -
शासनकाल - 1774 से 1777 तक
इसे बस्तर क्षेत्र के क्रांति प्रारम्भ हुआ
अजमेर सिंह राजा बनाने से पहले डोंगर क्षेत्र के अधिकारी पद पर थे
इनके शासनकाल में प्रथम जनजाति विद्रोह हुआ जिसे हल्बा विद्रोह कहतेहै।
इनकी हत्या इसके भाई दरियाव देव ने कूटनीति से करा दी।
➤दरियाव देव
शासनकाल - 1777 - से 1800 तक
इसके शासन काल से ही काकतीय वंश मराठो के अधीन हो गया
इसके शासन भोपालपटनम का संघर्ष हुआ
कोटपाड़ की संधि इसके शासन काल में हुआ
बस्तर छत्तीसगढ़ का अंग भी बना
➤महिपाल देव
शासनकाल - 1800 से 1842 तक
कोटपाड़ संधि का उल्लंघन किया जिसके परिणाम स्वरूप मराठों ने आक्रमण किया।
इनके शासनकाल में परलकोट का विद्रोह गेंद सिंह के नेतृत्व में हुआ था।
➤भूपाल देव -
शासनकाल - 1842 से 1853 तक
इसके शासन काल में मेरिया 1842 विद्रोह हुआ एवं तारा पुर विद्रोह भी हुआ था
➤भैरम देव
शासनकाल - 1853 से 1891 तक
छत्तीसगढ़ के ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन पहला शासक था।
इसके शसन काल में यूरोपियन यात्री चार्ल्स सी इलियट 1856 में बस्तर आये थे।
इनके शासन काल में तीन जनजाति विद्रोह हुआ
लिंगागिरी विद्रोह - 1856 कोई विद्रोह 1859 और मुड़िया विद्रोह 1876 में हुआ था।
➤रानी चोरिस -
इनका मूल नाम - जुगराजकुवर
ये अपने पति भैरम देव के विरुद्ध विद्रोह किया था जिसके कारण इन्हे छत्तीसगढ़ की प्रथम विद्रोही महिला कहा जाता है।
➤ रुद्रप्रताप देव -
शासन काल - 1891 से 1921 तक
उपाधि - सेंट ऑफ़ जेरुसलम (अंग्रेजों द्वारा )
जगदलपुर के चौराहों का निर्माण कराया जिसके कारन जगदल पुर को चौराहों का शहर कहा जाता है।
इनके घौतीपोनि प्रथा का प्रचलन था।
इसके शासन काल में महत्वपूर्ण विद्रोह गुण्डाधुर के नेतृत्व में 1910 में प्रारम्भ हुआ जिसे बस्तर का प्रसिद्द भूमकाल विद्रोह कहा जाता है
➤महारानी प्रफुल्ल देवी
शासनकाल 1921 से 1936 तक
छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला शासिका थी
➤प्रवीरचंद्र भंजदेव -
शासनकाल - 1936 से 1961 तक
ये ब्रिटिश शासन के अधीन अंतिम शासक और स्वतन्त्र भारत में छत्तीसगढ़के बस्तर का प्रथम स्वतन्त्र शासक था.
इसके नाम पर छत्तीसगढ़ शासन द्वारा तीरंदाजी के क्षेत्र में पुरस्कार दिया जाता है।
इसके शासनकाल में बस्तर भारतीय संघ में विलय हुआ और बस्तर 1948 में जिला बना।
यहाँ भी देखें छत्तीसगढ़ की सामान्यज्ञान
➤छत्तीसगढ़ के प्रमुख क्षेत्रीय राजवंश
➤छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास में महाजनपद काल
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