छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास में महाजनपद काल

         छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास में महाजनपद काल 

महाजनपद काल में भारत वर्ष को 16 महाजनपदों में बांटा गया जिसने छत्तीसगढ़ चेदि ,कोसल ,और फिर मगद महाजनपद  अंतर्गत आता था। 
चेदि - इनके  दक्षिण कोसल को चेदिसगढ़ कहा जाता था।  चेदिसगढ़ की जानकारी जैन साहित्य भगवती सूत्र  में मिलताहै। 
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मौर्य काल - 

मौर्य काल महानतम सम्राट अशोक के शासनकाल से सम्बंधित है अनेक साक्ष्य प्रदेश में प्राप्त हुए है।   

  • मौर्य कालीन साक्ष्य जोगीमार की गुफा रामगढ की पहाड़ी (सरगुजा ) में अशोक के खुदे हुए अभिलेख प्राप्त हुए है। इसकी भाषा - पाली और लिपि ब्राम्ही लिपि है। 
  • सीताबेंगरा की गुफा को विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाला माना  जाता है। 
  • देवदासी सुतनुका और उनके प्रेमी देवदत्त का उल्लेख मिलता है। 
मौर्य कालीन सिक्के - अकलतरा ,ठठारी ,जांजगीर-चांपा बारगॉव -रायगढ़ 
मौर्य कालीन आहत मुद्राएं - तारापुर ,आरंग ,उड़ेला (रायपुर जिला ) 
बौद्ध साहित्य में प्राप्त उल्लेख - सिरपुर विद्यालय के कुलपति बौद्ध दार्शनिक नागार्जुन थे.

सातवाहन काल -

इस वंशके प्रतापी शासक गौतमी पुत्र सतकर्णी ने कलिंग व कोसल क्षेत्र में अधिकार किया था।  यह मौर्योत्तर काल के महत्वपूर्ण वंश था।  जिसके शासन क्षेत्र में छत्तीसगढ़ भी शामिल था  इसके  अनेक पुरातात्विक साक्ष्य प्राप्त हुए है।                  
  • सातवाहन वंश के शासक प्रतिष्ठान (पैठान )महाराष्ट्र का था।  
  • सातवाहन वंश के शासक अपिलक की मुद्रा - बालपुर  रायगढ़,मल्हार -बिलसपुर  से प्राप्त हुए।  
  • राजा वरदत्ताश्री की जानकारी गुंजी अभिलेख (शक्ति)जांजगीर -चांपा  में मिलताहै। 
अन्य स्थल - 
  1. सातवाहन वंश कालीन काष्ठ स्तम्भ - किरारी जांजगीर चांपा  
  2. लोकायुक्त प्रतिमा -और मिटटी के मुहर - बुढ़ीखार मल्हार (बिलासपुर )जिसमे वेदश्री का वर्णन है जिसे इतिहास कार ने सातवाहन शासक कहा है। 
  3. सातवाहन वंश की रोमकालीन स्वर्ण मुद्राएं -चकरबेडा बिलासपुर 
  4. सातवाहन वंश ने बौद्ध भिक्षु नागार्जुन के लिए पांच मंजिला संघाराम का निर्माण करवाया था। 

कुषाण वंश   -

  • शासन की अवधि -प्रथम  ईसवीं  
  • पुरातात्विक साक्ष्य - कुषाण कालीन तांबे के सिक्के  बिलासपुर से प्राप्त हुए है। 
  • रायगढ़ खरसियां के तेलीकोट से पुरातात्विकविद  डॉ. डी के शाह को कनिष्क के सिक्के प्राप्त हुए है। 
मेघवंश - 
सातवाहन वंश के बाद और गुप्त वंश के पहले मेघ वंश का शासन था। 

वाकाटक वंश -

  • इस वंश के शासक जिन्होंने दक्षिण कोसल का अधिकार प्राप्त था - प्रवरसेन प्रथम 
  • इस काल के शासक जिसका मैकल और मालवा क्षेत्र पर होने का साक्ष्य प्राप्त होता है। - बालाघाट के ताम्र लेख 
  • इस वंश के शासक महेन्द्रसेन और पृथ्वि सेन द्वितीय का संघर्ष होता रहा - नल वंश से 
  • ईस वंश  का आंत किया - त्रिपुरी जबलपुर के कलचुरी वंश के शासक ने 
  • वाकाटक शासक जो चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के समकालीन थे। 
प्रमुख शासक - 
                    प्रथम राजधानी - नन्दिवर्धन (नागपुर )
  1.  महेन्द्रसेन - वाकाटक मांडलिक महेन्द्रसेन को समुद्रगुप्त अपने दक्षिण विजय अभियान में हराया था।  
  2. प्रवरसेन - इसके आश्रय में महाकवि कालिदास ने कुछ समय व्यतीत किया 
  3. नरेंद्र सेन - नलवंशी शासक भवदत्त ने इन्हे पराजित किया 
  4. पृथ्वी सेन - इसे नलवंशी राजा भवदत्त के पुत्र अर्थपति को  पराजित किया। 
  5. हरिसेन -जब वाकाटक वंस नष्ट होने  कगार में था तब वत्स गुलाम वंश के वाकाटक ने आकर शासन किया।  

गुप्त वंश

समुद्र  गुप्त ने अपनी दक्षिण विजय अभियान के दौरान दक्षिण कोसल के राजा महेंद्र (नलवंशी )और महाकांतार (बस्तर के शासक )व्याघ्रराज को पराजित किया। 
गुप्त वंश का साक्ष्य - 
  • हरिषेण की प्रयाग प्रशस्ति में समुद्रगुप्त का दक्षिण अभियान का समय उल्लेख  है। 
  • गुप्त कालीन सिक्के मिले - बानाबरद (दुर्ग) और आरंग (रायपुर ) से 
  • गुप्तवंश का प्राचीन प्रतिमा बूढीखार  से मिली 
  • गुप्तकाल में दक्षिण कोसल को जाना जाता था। - दक्षिणपंथ 
  • गुप्त वंश का शासन अप्रत्यक्ष था। 
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