छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास में महाकाव्य काल

                छत्तीसगढ़ के प्राचीन इतिहास में महाकाव्य काल 


छत्तीसगढ़ के इतिहास CGPSC और CGVYAPAM के लिए एक महत्वपूर्ण TOPIC है इससे सम्बंधित question   सभी exam में  पूछे जाते है।  
हमने पिछले पोस्ट छत्तीसगढ़ की प्राचीन इतिहास के अतर्गत   प्रागैतिहासिक काल ,अधएतिहासिक की प्रमुख जानकारीको देखा । 
       महाकाव्य युगीन छत्तीसगढ़ में हम रामायण, महाभारत ,महाजनपद  ,कालीन छत्तीसगढ़ का अध्ययन करेंगे - 
रामायण काल - 
  • पूर्वकाल में भारत वर्ष को महाजनपद में बांटा गया था 
  • महाजनपद की संख्या 16 थी 
  • जो की वर्तमान में विभाजित कर राज्य बनाया गया जिसकी सांख्य -29 है 
  • पूर्व में छत्तीसगढ़ दक्षिण कोसल कहलाता था। 
  • बस्तर का नाम - दंडकारण्य था। 
  • दक्षिण कोसल के राजा -भानुमंत थे जिसकी पुत्री कौशिल्या की विवाह उत्तर कोसल के राजा दशरथ के साथ हुआ 
  • भानुमंत ने राज्य दशरथ को सौंप दिया। 
  • रामायण काल में दक्षिण कोसल की राजधानी श्रावस्ती था। 
  • वनवास काल में राम के अबूझमाड़  आगमन का उल्लेख प्राप्त है। 
  • सीता को त्याग दिए जाने पर उसने बाल्मीकि आश्रम में शरण लिया। 
  • वाल्मीकि आश्रम -तुरतुरिया जिला -बलौदाबाजार में है जहा लव - कुश का जन्म हुआ। 
  • लव  उत्तर कोसल और कुश दक्षिण कोसल का राजा बना। दक्षिण कोसल की राजधानी कुशस्थलीय  थी 
प्रमुख स्थल -
  1. शिवरीनारायण - जंजगीर - चांपा  जहा पर सबरी के जूठे बेर खाये थे 
  2. वाल्मीकि आश्रम - लव-कुश  किजन्म स्थली 
  3. दंडकारण्य- वनवास के दौरान समय व्यतीत किये 
  4. सिहावा पर्वत - श्रृंगी ऋषि का आश्रम 
  5. रामगढ़ -रामगढ की पहाड़ी 
महाभारत काल -
  • इस काल में छत्तीसगढ़ को कहा जाता था - प्राक्कोसल 
  • प्राक्कोसल को सहदेव ने जीता था 
  • महाभारत काल में बस्तर को कहा जाता था - कान्तार 
  • इसा काल में सिरपुर को चित्रांगदपुर कहा जाता  था राजा -भब्रूवाहन की राजधानी थी.
  • मोरजध्वज कि राजधानी -आरंग और राजा ताम्रध्वज  की राजधानी - मणिपुर (रतनपुर ) था।  
महाजनपद-
     बौद्ध धर्म 
  • बौद्ध ग्रन्थ अवदानशतक में उल्लेख है - गौतमबुद्ध दक्षिण कोसल आये थे।  
  • चीनी यात्री व्हेनसांग की रचना सी.यु.की. में उल्लेख मिलता है की तथागत बुद्ध 3 माह तक दक्षिण कोसल में रुके थे। 
  • पहली सताब्दी में प्रसिद्ध बौद्ध भिक्षुक नागार्जुन सिरपुर आये थे. .
  • छठवीं शताब्दी में बौद्ध भिक्षुक आनंद प्रभु ने सिरपुर में स्वस्तिक विहार का निर्माण करवाया 
जैन धर्म - प्राप्त मूर्तियां 
 ऋषभ देव - मल्हार (बिलासपुर )
पार्थवानाथ - राजिम, नागपुर (दुर्ग)
महावीरस्वामी -आरंग रायपुर 
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