भारत आने वाले प्रमुख विदेशी यात्री एवं उनका परिचय

         भारत आने वाले प्रमुख विदेशी यात्री एवं उनका परिचय 



एग्जाम में हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्न के आधार पर तैयार किया गया महत्वपूर्ण तथ्य 

यूनानी - रोमन यात्री एवं लेखक
  • टेरियस -के बारे में कहा जाताहै ये एक ईरानी राजवैद्य थे भारतके सम्बन्ध में इसका विवरण आश्चर्यजनक कहानियो  आधार से परिपूर्ण होने के कारण  अविश्वश्नीय है। 
  • हेरोडोटस - इसे इतिहास  कजनक कहा जाता है.इसने अपनी पुस्तक हिस्टोरिका में ५वीं शताब्दी ईसा पू. के भारत फारस के सम्बन्ध का वर्णन किया परन्तु इनकी अनुश्रुतियाँ एवं अफवाहों पर आधारित थी।  
  • सिकंदर के साथ आने वाले  लेखक में निर्याकस ,आनेसिक्रटस तथा आस्टिबुलस के विवरण अधिक प्रामाणिक एवं विश्वशनीय है। 
  • मेगास्थनीज - यह सेल्यूकस निकेटेर का  राजदूत था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। इसने अपनी पुस्तक इंडिका में मौर्य कालीन समाज के बारे मे लिखा है 
  • डाइमेकस - यह सिरियान नरेश  था जो  बिन्दुसार के राजदरबार में आया था इसका विवरण भी मौर्य सम्बन्धी है 
  • डायोनिसियस - यह मिस्र नरेश टॉलमी फिलेडेल्फ्स का राजदूत था जो अशोक के राजदरबार में आया था। 
  • टॉलमी - दूसरी सताब्दी में भारत आया।  इसने भारत के भूगोल नामक पुस्तक लिखी। 
  • प्लिनी -    इसने प्रथम सताब्दी में नेचुरल हिस्ट्री (natural history  ) नमक पुस्तक में भारत के जिव-जंतु पेड़पौधे के बारे में लिखा। 
  • पेरिप्लस ऑफ़ द  इरिथ्रयाँ सी  - इस पुस्तक के लेखक के बारेमे जानकारी नहीं है। 
चीनी लेखक -



  •  फाहियान - ये चीनी यात्री गुप्त नरेश चद्रगुप्त द्वितीय के दरबार में आया था इसने अपने विवरण में मध्यप्रदेश के समाज एवं संस्कृति के बारेमे वर्णन किया है।  इसमें मध्य प्रदेश की जनता को सुखी एवं समृद्ध बताया है।  
  • संयुगन  - यह 518 ईस.में आया इसने अपने तीन वर्षो की  बौद्ध धर्म की प्रतियां एकत्रित की। 
  • व्हेनसांग - ये 629 ई  में हर्षवर्धन के शासन काल में अभृत आया एक वर्ष की ेत्र के पश्चात् भारतीय राज्य कपिशा पंहुचा इसने 6 वर्षों तक नालंदा विश्वविद्यालय  में शिक्षा ग्रहण की इसकी पुस्तक सी - यु- की है जिसमे इनकी यात्रा वृतांत लिखा हुआ है वो 15 वर्ष रहने के बाद चीन वापिस चला गया इनकी यात्रा वृतांत में 138 देशों की विवरण मिलता है।  नोट - नालंदा में इसके अध्यपन के समय कुलपति - आचार्य - शीलभद्र थे।  
  • इत्सिंग - ये ६७२ ईस  में भरत आया था जिसने व्हेनसांग की जीवनी लिखी 
तिब्बती लेखक - लामा तारा नाथ  ,कंग्युर - तंग्युर
अरबी लेखक -
अलबरूनी - ये महमूद गजनवी के साथ बहरत आया था जिसने अपनी पुस्तक किताब -उल हिन्द (तहरीक ए  हिंद ) ये १००० ई  में भारत आया था
इब्नबतूता - इसके द्वारा अरबी भाषा में लिखे गए किताब रिह्ला है जिसमे 14 सताब्दी में भारत के  समाज और संस्कृति केबारे में लिखा है।  १३३३ में इसकी विद्वता को देख का मोहम्मद बिन तुगलक ने दिल्ली का काजी और न्यायधीश ंयुक्त कर दिया।

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