भारत के प्राचीन इतिहास में साहित्य का योगदान

                प्राचीन भारत के इतिहास में साहित्य का योगदान 




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 प्रतियोगी परीक्षा के दृष्टि से प्रचीन भारत के इतिहास महत्वपूर्ण  टॉपिक है और हमेशा ही कॉम्पिटिशन परीक्षाओं में इसका प्रश्न पूछे जाते है।
प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए साहित्य एक महत्वपूर्ण अंग है।  प्राचीन भारतीय इतिहास को जानने के लिए साहित्य को दो भागो में बांटा गया है इसमें पहला  धार्मिक साहित्य और दूसरा गैरधार्मिक साहित्य  है जिसके माध्यम से प्राचीन भारत का इतिहास जान पाते है।
धार्मिक साहित्य - धार्मिक साहित्य एक महत्वपूर्ण स्रोत  है भारत की प्राचीन इतिहस को जानने के लिए। इसके अंतर्गत सभी प्राचीन धार्मिक साहित्य के बारे में जानेंगे जिसमे ब्राह्मण साहित्य , बौद्ध साहित्य ,जैन साहित्य  आते है।

  1. ब्राह्मण साहित्य /वैदिक साहित्य 
  2. बौद्ध साहित्य 
  3. जैन साहित्य -जैन साहित्य को आगम कहा जाता है। ये प्राकृत भाषा में लिखे गये है।  इसके १२ अंग १२ उपांग,१०प्रकीर्ण , ६ छेदसूत्र शामिल है।  जैन धर्म ग्रंथों का अंतिम संकलन 512 में गुजरात के वल्लभी सभा में किया गया।                                                                                                                                                           छेदसूत्र में महावीर स्वामी के जीवन एवं कार्य कलाप का वर्णन मिलता  है। 
गैर धार्मिक साहित्य - 
               
  1. आचार्य चाणक्य( विष्णुगुप्त ,कौटिल्य )  - अर्थशास्त्र ,राजप्रशासन 
  2. पाणिनि -     अष्टाध्यायि
  3. पातंजलि - महाभाष्य      -  पुण्यमित्र शुंग के विषय में जानकारी मिलती है
  4. विष्णु शर्मा - पंचतंत्र 
  5. नारायण भट्ठ - हितोपदेश 
  6. अमरसिंह -अमरकोश (व्याकरण )
  7. चरक - चरकसहिता (आयुर्वेद )
  8. अश्वघोष - सौन्दरनन्द ,बुद्धचरित, सारिपुत्र प्रकरण 
  9. शूद्रक  - मृक्ष कटिकम (मिट्टीका खिलौना )
  10. ;विशाखदत्त - मुद्राराक्षश , देवीचंद्रगुप्तम -  मौर्य काल
  11. कालीदास -- शाकुंतलम ,मेघदूत ,कुमार संभव , रघुवंश ,
  12. कल्हण - रजतरंगनी (कश्मीर का इतिहास )
  13. वाणभट्ठ -हर्षचरित , कादम्बरी ,
  14. चंदबरदाई -पृथ्वीराज रासो 
  15. जगनिक - बीसलदेव रासो 
  16. जयदेव - गीतगोबिन्द 
  17. विज्ञानेश्वर - मिताक्षरा 
  18. भवभूति - मालित माधाव 
  19.  यास्क  -   निरुक्त-वैदिक शब्दों की व्युत्पत्ति का विवेचन है एवं छंद शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का उल्लेख
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