सिंधु घाटी सभ्यता /Indus Civilization
सिंधुघाटी सभ्यता से सभी प्रकार के एग्जाम में पश्न पूछा जाता है। प्रतियोगी एग्जाम को ध्यान में रखते हुए हमरे द्वारा महत्वपूर्ण तथ्यों को ध्यान में रख कर ये नोट्स तैयार किया गया है।
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पहले चर्ल्स मेसं न ने सबसे पहले जानकारी १८२६ में दी जबकि 1865 में रेल लाइन बिछाते समय सबसे पहला अवशेष प्राप्त हुआ। 1921 में जॉन मार्सल के नेतृत्व में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा की उत्खनन प्रारम्भ की तब सिंधुघाटी सभ्यता सामने आया। हड़प्पा में अब तक 350 से ज्यादा स्थल प्राप्त हो चुके है जिसमे से 200 से अधिक गुजरात में स्थित है ये लगभग 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता है।
काल निर्धारण - कार्बन डेंटिंग विधि द्वारा इस सभ्यता का काल 2350 ईसा. पू. से 1750 ईसा. पू. तक निर्धारित किया गया है। इसा सभ्यता का काल निर्धारण सुमेरिया या मेसोपोटामिया की सभ्यता के समकक्ष मना गया है।
विस्तार - ये त्रिभुजाकार क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर है।
निर्माता - प्रजाति के आधार पर सिंधु घाटी सभ्यता के लोग भूमध्यसागरीय (मिड्टेरियन ) कहलाते है। जबकि भाषायी आधार पर द्रविण लोगों को इस सभ्यता का निर्माता मन जाता है।
नगर नियोजन - सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम नगरीय सभ्यता थी। यहाँ के नगर सु नियोजित यही सड़क आपस में एक दूसर को समकोण में काटते थे ,पानी निकासी के लिए छोटी बड़ी नालियां थी सड़क पर प्रकाश स्तम्भ लगाए गए थे माकन पक्की ईंटो के बने हुए थे।
राजनीती व्यवस्था -
यहाँ की लिपि में 400 अक्षर मिले है लिपि का नमूना 1853 में ज्ञात हुआ। जबकि 1932 प्रकाश में आया इसा लिपि को चित्रात्मक और धान्यात्मक (पिक्टोग्राफ़िक ) लिपि कहते है।
इस लिपि के 60 मूल अक्षर है ये दाएं से बाएं लिखे जाते है।
सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे पहले चर्ल्स मेसं न ने सबसे पहले जानकारी १८२६ में दी जबकि 1865 में रेल लाइन बिछाते समय सबसे पहला अवशेष प्राप्त हुआ। 1921 में जॉन मार्सल के नेतृत्व में रायबहादुर दयाराम साहनी ने हड़प्पा की उत्खनन प्रारम्भ की तब सिंधुघाटी सभ्यता सामने आया। हड़प्पा में अब तक 350 से ज्यादा स्थल प्राप्त हो चुके है जिसमे से 200 से अधिक गुजरात में स्थित है ये लगभग 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता है।
काल निर्धारण - कार्बन डेंटिंग विधि द्वारा इस सभ्यता का काल 2350 ईसा. पू. से 1750 ईसा. पू. तक निर्धारित किया गया है। इसा सभ्यता का काल निर्धारण सुमेरिया या मेसोपोटामिया की सभ्यता के समकक्ष मना गया है।
विस्तार - ये त्रिभुजाकार क्षेत्र में फैला हुआ है। इसका क्षेत्रफल 1299600 वर्ग किलोमीटर है।
निर्माता - प्रजाति के आधार पर सिंधु घाटी सभ्यता के लोग भूमध्यसागरीय (मिड्टेरियन ) कहलाते है। जबकि भाषायी आधार पर द्रविण लोगों को इस सभ्यता का निर्माता मन जाता है।
नगर नियोजन - सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीनतम नगरीय सभ्यता थी। यहाँ के नगर सु नियोजित यही सड़क आपस में एक दूसर को समकोण में काटते थे ,पानी निकासी के लिए छोटी बड़ी नालियां थी सड़क पर प्रकाश स्तम्भ लगाए गए थे माकन पक्की ईंटो के बने हुए थे।
राजनीती व्यवस्था -
- सिंधुघाटी सभ्यत की राजधानी मोहन जोदड़ो थी.
- यहाँ पुरोहितों और व्यपारियों का सत्ता होता था
- समाज 5 वर्गों में बांटा गया था जिसमे पुरोहित व्यापारी ,योद्धा और श्रमिक कारीगर
- परिवार सम्भवता मातृसत्तात्मक थी
- सूती और ऊनी दोनों प्रकार के वस्त्र का प्रयोग करते थे
- मनोरंजन हेतु पासे और चॉपर का खेल प्रचलित था।
- मातृ देवी प्रमुख देवी थी।
- लिंग योनि ,वृक्ष ,जल ,अग्नि ,पशु , अदि की पूजा की जाती थी।
- वृक्ष में नीम , पीपल , में पशु में बैल, नाग , स्वस्तिक चिन्ह का पूजा हॉट था जो सूर्य का था।
- जौ और गेंहू मुख्य खाद्यान्ह फसल थी चावल और कपास की खेती विशेष रूप से की जाती थी।
- कपास को सिंधु सभ्यता के इतिहास करो ने सिंडोन कहा है।
- व्यपार व्यवस्था वास्तु विनिमय पर आधारित थी।
- अफगानिस्तान ,मेसोपोटामिया , बहरीन से व्यापर होता था।
- बहरीन की मुद्रा लोथल से मिली थी।
- बाटें 16 के गुणज होते थे (१६,३२,६४,... )
- यहाँ के लोग काँस्य और ताम्र युगीन थे। ये लोहे से अपरिचित थे।
- तकलियों के माध्यम से ऊनी और सुटी कपड़ो की बुने की जाती थी।
- कुम्हार चाक द्वारा मिटटी के बर्तन और खिलौने बने करते थे.
- हड़प्पा सभ्यता की सर्वोच्तम रचना मिटटी की मुहरे है जिसमे सांड, बैल , हाथी ,अदि की मूर्ति बानी है।
- मोहनजोदाड़ो और लोथल से राज मुद्रा प्राप्त हुई है जिसमे से कुछ में पशुपति नाथ के चित्र मिलते है।
यहाँ की लिपि में 400 अक्षर मिले है लिपि का नमूना 1853 में ज्ञात हुआ। जबकि 1932 प्रकाश में आया इसा लिपि को चित्रात्मक और धान्यात्मक (पिक्टोग्राफ़िक ) लिपि कहते है।
इस लिपि के 60 मूल अक्षर है ये दाएं से बाएं लिखे जाते है।
प्रमुख स्थल
हड़प्पा - पाकिस्तान में रावी नदी के तट पंजाब प्रान्त के मठगुमरी जिला में चार्ल्स मेसन ने 1826 में जानकरी दी जिसे रायबहादुर दयाराम साहनी ने 1921 में उत्खनन कराया यहाँ श्रमिक आवास ,गेंहू, जौ के दाने अन्न भंडार शृंगार बॉक्स कब्रिस्तान , कस्य की इक्का गाड़ी तब की मापने की सलाका भी प्राप्त हुए है।
मोहनजोदड़ो - इसे मृतकों का टीला कहा जाता है। इसकी खोज राखल दास बनर्जी ने 1922 में की थी यहाँ से विशाल स्नानागार ,कस्य की नृतकी की मूर्ति बड़ा सभाभवन ,विशाल अन्नागा पुजारी की मूर्ति , कुम्हार का भट्ठा सीपी का पैमाना प्रमुख है।
चन्हुदडो _- इसकी खोज 1931 में नानीगोपाल मजूमदार ने की थी। ये पाकिस्तान के मोहन जोदड़ो से 80 मिल दक्षिण में स्थित है।
हाथी और कुत्ता के पैरों के चिन्ह। मनका (मोती )बनाने का कारखाना
लोथल इसकी खोज एस. आर. राव ने 1957 में की थी। ये गुजरात के अहमदाबाद के निकट स्थित है। यह नगर चावल और हाथी के लिए प्रसिद्द था। इसे बंदरगाह नगर भी कहा जाता है।
साक्ष्य - -हाथी दन्त ,चावल के दाने , बहरीन की मुद्रा , बंदरगाह (बोदीबाड़ा ) घोड़े के मिटटी की मूर्ति।
कालीबंगा -ये राजस्थान के घग्घर नदी के तट पर स्थित है। इसकी खोज 1953 में अमलानंद घोस ने की थी। कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ होता है। "कालेरंग की चूड़ियां "
साक्ष्य - जुठेहुए खेत। अग्निकुंड ईंटो बना चबूतरा , लकड़ी की नाली ,कच्ची ईंटो की मकान , बेलनाकार मुहरें ,
बनवाली - ये हरियाणा में स्थित है इसकी खोज R.S.wist ने 1973 में की थी
साक्ष्य - हल की आकृति की एक मिटटी का खिलौना , सरसो और जौ का ढेर ,
सुतकागेंडोर - पाकिस्तान में है इसकी खोज 1927में आर. एल स्टाइन ने की थी।
साक्ष्य - अस्थि अवशेषों से भरा बर्तन, बंदरगाह , मिट्टीकी चूड़ियां
सुरकोतड़ा - ये गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है इसकी खोज 1964 में जे. जोशी ने की थी।
साक्ष्य - घोड़े की अस्थि अवशेष ,
रंगपुर - अहमदाबाद जिले में स्थित है
आलमगीरपुर - पश्चिम उत्तरप्रदेश में यमुना नदी के सहायक नदी स्थित है इसकी खोज 1950 में Y.D.Sharma ने की थी सिंधु घाटी सभय्ता की पूर्वी सिमा का निर्धारण करता है। ये सिंधु सभ्यता का ग्रामीण संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है।
धौलावीरा - इसकी खोज जगपतजोशी ने की इसका उत्खनन आर. एस. wist कराया ये नवीनतम प्राप्त स्थल है।
राखीगढ़ी - ये हरियाणा में है इसका उत्खनन रफीक मुग़ल ने कराया।
रोपड़ - पंजाब में यज्ञ दत्त शर्मा ने 1953 में की थी।
साक्ष्य - यहाँ एक ऐसी कब्र मिलाहै जिसमे इंसान और कुत्ते को एक साथ दफनाया गया है।
विदेशी व्यपार -
लेपिस लजूली(मणि) - अफगानिस्तान
सोना --- कर्णाटक ,अफगानिस्तान
चांदी ---- ईरान ,अफगानिस्तान
ताम्बा ---राजस्थान
टिन -----मध्य एशिया
पतन का कारण -
प्रश्नोत्तरी- साक्ष्य - अस्थि अवशेषों से भरा बर्तन, बंदरगाह , मिट्टीकी चूड़ियां
सुरकोतड़ा - ये गुजरात के कच्छ जिले में स्थित है इसकी खोज 1964 में जे. जोशी ने की थी।
साक्ष्य - घोड़े की अस्थि अवशेष ,
रंगपुर - अहमदाबाद जिले में स्थित है
आलमगीरपुर - पश्चिम उत्तरप्रदेश में यमुना नदी के सहायक नदी स्थित है इसकी खोज 1950 में Y.D.Sharma ने की थी सिंधु घाटी सभय्ता की पूर्वी सिमा का निर्धारण करता है। ये सिंधु सभ्यता का ग्रामीण संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है।
धौलावीरा - इसकी खोज जगपतजोशी ने की इसका उत्खनन आर. एस. wist कराया ये नवीनतम प्राप्त स्थल है।
राखीगढ़ी - ये हरियाणा में है इसका उत्खनन रफीक मुग़ल ने कराया।
रोपड़ - पंजाब में यज्ञ दत्त शर्मा ने 1953 में की थी।
साक्ष्य - यहाँ एक ऐसी कब्र मिलाहै जिसमे इंसान और कुत्ते को एक साथ दफनाया गया है।
विदेशी व्यपार -
लेपिस लजूली(मणि) - अफगानिस्तान
सोना --- कर्णाटक ,अफगानिस्तान
चांदी ---- ईरान ,अफगानिस्तान
ताम्बा ---राजस्थान
टिन -----मध्य एशिया
पतन का कारण -
- बाढ़ - मैक ,एवं मार्शल
- आर्यों का आक्रमण - मार्टीमर,व्हीलर एवं गार्डन चाइल्ड
- महाजलप्लावन - एम्. आर, साहनी
- जलवायु परिवर्तन- व्ही. के. थापर
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सिंधु घाटी
बेहद महत्वपूर्ण जानकारी बताई गई है
ReplyDeleteअच्छी जानकारी है
Sindhu Sabhyata Gk In Hindi