छत्तीसगढ़ में नागवंशी शासन काल

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 पिछले पोस्ट  हमने देखा की छत्तीसगढ़ के प्राचीन राजवंश, सोमवंशीय शासन काल ,साथियों इस पोस्ट में छत्तीसगढ़ के बस्तर  नागवंशी ,और कवर्धा के फणिनाग वंशी राजाओ एवं उसके शासन क्षेत्र  राजवंश के बारे में जानेंगे।
छत्तीसगढ़ में सोमवंश का शासन काल  
इस पोस्ट में क्या क्या है ?
➤ बस्तर नागवंशी राजा का शासन काल
➤कवर्धा का फणिनाग वंशी राजाओं का शासन काल
बस्तर नागवंशी राजा   (छिन्दक नागवंश)
शासन काल - १०वी से १४वी सताब्दी तक 
राजधानी - बारसूर 
उपाधि - अनेक  उपाधि धारण की थी जिसमे से एक "सर्वोत्तम नगर भोगवती के स्वामी "
भोगवती नगर - दंतेवाड़ा को कहा गया  है। 
संस्थापक - नृपति भूषण 
प्रमुख शासक - धारावर्ष ,मधुरांतक ,सोमेश्वर ,राजभूषण ,जगदेव भूषण ,हरिश्चंद्र 
निर्माण कार्य - मामा-भांचा मंदिर ,बत्तीसा मंदिर ,चन्द्रादितेश्वर मंदिर - बारसूर

 राजाओं के शासनकाल -
नृपति भूषण एवं जगदव भूष (धारावर्ष )
 नृपति भूषण और जगदेव भूषण का शासन काल -1023 से 1060 तक माना गया है 
एर्राकोट शिलालेख में नृपति भूषण का उल्लेख मिलता है जिसके कारण इसे बस्तर के नाग वंशो का संस्थापक मानागया है। 
नृपति भूषण जगदेवभूषण धारावर्ष के पिता थे।यह ज्ञात नहीं होता है। 
इनके शासन काल में चोल राजा राजेंद्र चोल ने 1024  में शकरकोट्टम अर्थात चक्रकोट   आक्रमण किया। 
जगदेव भूषण - धारावर्ष 
इनका उल्लेख -बारसूर ,नारायणपाल ,कुरुसपाल ,के शिलालेखों से प्राप्त होता है। 
धारावर्ष और राजभूषण इनकी उपाधि थी।
सामंत चन्द्रादित्य  जो धारावर्ष के सामंत थे। इसने बारसूर में शिवमंदिर का निर्माण कराया। 
1060 के पश्चात के शिलालेखों में जगदेव भूषण धारावर्ष का उल्लेख नहीं मिलता जिसके कारण मन जाता है की इनका शासन काल 1060 तक ही रहा होगा। 
मधुरांतक देव -   शासन काल - 1065 से 1069 तक 
राजपुर ताम्र पत्र के अनुसार मधुरांतक को भ्रमरकोट्य का राजा माना है 
इनका  शासन काल 1060 ई के बाद प्रारम्भ हुआ 
इनके शासन काल में नरबलि  प्रथा थी ।
इनका युद्ध सोमेश्वर प्रथम के साथ हुआ जिसमे ये मरे गए और सत्ता सोमेश्वर प्रथम के पास चला गया  जिसकी जानकारी सोमेश्वर प्रथम के कुरुसपाल अभिलेख से स्पष्ट होता है। 

सोमेश्वर देव प्रथम -
  ये  धारावर्ष के पुत्र थे। 
इसका शासन काल 1069 से 1111 ई  तक रहा। जिसकी जानकारी कुरुसपाल शिलालेख से प्राप्त होता है। 
बारसूर शिलालेख शंक संवत 1030 ई  सोमेश्वर देव की प्रमुख रानी गंगा महादेवी का उल्लेख है। 
1111 ई   नारायणपाल शिलालेख में कान्हर देव  को राजा के रूप में बताया गया है। 
कुरुसपाल शिलालेख से प्राप्त होता है की सोमेश्वर देव प्रथम ने उद्र ,वेंगी लेम्ना ,लंजि, रतनपुर ,भद्रापतन ,वज्र ,कोसल विजय अभियान चलाया जिसमे वो सफल रहा।  
इनका युद्ध कलचुरी शासक जाजल्ल देव प्रथम से हुआ जिसमे सोमेश्वर देव प्रथम की हार हुई। फिर जाजल्ल देव ने राजधानी को जला कर, और रानियों को बंधक बना कर ले गया जिसे उसने बाद में छोड़ दिया।  
अंतिम शासक हरिश्चंद्र देव 
ये छिन्दक नागवंश का अंतिम शासक था।  जिसे काकतीय वंश के अन्नम देव ने पराजित  किया।
इसका  शासन काल का अंत 1324 ई  को माना जाता है।
काकतीय वंश का शासनकाल
फणिनागवंश कवर्धा 
कवर्धा (कबीरधाम) में एक नागवंशी शासको का का शासन था  जिसे फणिनागवंश कहा गया है।  इनका स्वयं का  स्वतन्त्र शासन नहीं था ये रतनपुर  के कलचुरी नषों के अधीन रहकर शासन कर रहेथे।  मड़वा महल के पास से प्राप्त  शिलालेख के अनुसार फणिनागवंश के राजाओ की वंश वृक्ष का पर्याप्त जानकारी मिलता है। 
इनकी संख्या शिलालेख के अनुसार इनकी संख्या 24 माना गया है। फणिनगवाशी राजाओ ने अपनी उत्पति अहि-एवं जातकर्ण ऋषि की बेटी मिथिला से मानते है। मिथिला का पुत्र अहिराज हुआ जिसने फणिनागवंश की स्थापना की थी। 
शासन क्षेत्र - कवर्धा 
शासन काल - ११से १४ वी शताब्दी 
संस्थापक - अहिराज 
इस वंश के शासक - १ अहिराज ,२ राजबल ,३ धरणीधार ,४ माहिम देव ,५ सर्ववादन , ६ गोपाल देव ,७ बलदेव ,८ भुवन पाल ,९ कीर्ति पाल १० जयपाल ,11महिपाल ,१२ विषम पाल ,१३ जान्हूपाल ,१४ जनपाल ,१५ यशराज ,१६ कान्हड़देव ,१७ लक्ष्मीवर्मा  
छत्तीसगढ़ में प्रचीन राजवंश
प्रमुख शासक - 
गोपाल देव  
इस वंश का  छठवा शासक था। जो रतनपुर के महाराज पृथ्वी देव के समकालीन थे। गोपाल देव ने पृथ्वीदेव प्रथम की  अधिसत्ता स्वीकार की थी।  
स्थापत्य -भोरम डव मंदिर का निर्माण कराया 1089 ई में 
इनका उल्लेख बहुत से कलचुरी और दक्षिण कोसल के अनेक अभिलेखों में प्राप्त होता है।  
रामचंद्र देव - 
रामचंद्र देव फणिनागवंशी राजाओं में से प्रमुख राजा थे।  
इनके द्वारा मड़वा महल और छेरकी महल का निर्माण कराया गया जिसे इन्होने 1349 में बनवाया था।  
 मड़वा महल के शिलालेख से फणिनागवंशी राजाओ की वंशावली प्राप्त हुई ,
इनका विवाह कलचुरी राजकुमारी अम्बिका देवी से हुई  थी। 
 मोनिंग देव 
ये फणिनागवंशी राजाओं में अंतिम शासक थे जिसे  रायपुर कलचुरी शासक ब्रम्हदेव राय के पिता रायदेव ने पराजित किया था।  इसका उल्लेख ब्रम्हदेव राय के अभिलेख से प्राप्त होता है। इसमें ब्रम्हदेवराय कके शासन काल को 1402 से 1414 तक माना गया है।
छत्तीसगढ़ की सामान्यज्ञान यहाँ भी 
छत्तीसगढ़ के क्षेत्रीय राजवंश
➤छत्तीसगढ़ में प्राचीन राजवंश 
➤छत्तीसगढ़ में सोमवंशीय शासनकाल 

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