छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद "मिनीमाता" /WHO WAS THE FIRST WOMAN MP OF CG



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छत्तीसगढ़ की महान विभूतियों में से एक छत्तीसगढ़ की प्रथम महिला सांसद मिनीमाता उर्फ़ मीनाक्षी देवी 
मिनीमाता को ममतामयी मिनीमाता भी कहा जाता है ममतामयी कहने से ही स्पष्ट होता है।  ममता लुटाने  वाली माँ। जिस प्रकार माँ अपने बच्चे में ममता दिखाती है वैसे ही मिनीमाता अपने राज्य और देश के जनता को अपना मानती थी। और उनसे उतना ही स्नेह करती थी जितना एक माँ अपने बच्चों से करती है। मिनीमाता ममतामयी करुणा के सागर थी जिसने दबेकुचले लोगों की आवाज सांसद तक उठाई।  छत्तीसगढ़ क्षेत्र की जनता इन्हे राजमाता का दर्जा देते थे।
           असम से छत्तीसगढ़ तक पहुंचने  का वर्णन इस पोस्ट में करेंगे। वह छत्तीसगढ़ कब कैसे आयी। और एक ग्रहणी से सांसद भवन पहुंचने तक का सफर कैसा कैसा था इसके बारे में हम जानेगे। इन्होने आजीवन समाज सेवा में लगा दी। जीवन भर गरीबो और दलितों के उत्थान में लगी रही।
बचपन - 
मिनीमाता का नाम मीनाक्षी देवी था। इनका जन्म 13 मार्च 1913 को आसाम के दौलगाव में हुआ था। इनकी माता देवबती थी। मीनाक्षी बचपन से ही पढाई में तेज थी। उन्होंने  मिडिल स्कूल तक पढ़ाई की थी।  साहुन मौसी ने उसका देखभाल किया। पहले इनका परिवार दौलगांव में रहते थे जो बाद में जमुनामुख आ गए ,इनके साथ मीनाक्षी देवी भी आ गयी।
             बचपन से ही उनके मन में देश भक्ति का जज्बा था उस समय 1920 में जब विदेशी कपड़ो और वस्तुवो का बहिस्कार किया जा रहा था ये आंदोलन देश व्यापी था जिसमे मिनीमाता ने भी बढ़चढ़ का हिस्सा लिया और विदेशी वस्तुवों का बहिस्कार कर स्वदेशी वस्त्र धारण  देशभक्ति  उनके अंदर बचपन से ही था।
विवाह -
इनका विवाह सतनाम पंथ चलाने वाले बाबा गुरु घासीदास जी  के चौथे वंशज गुरु अगन दास के साथ हुआ। गुरूगोसाई अगमदास जब सतनाम पंथ के प्रचार के लिए आसाम गए थे। और वहाँ मिनीमाता के परिवार में ही ठहरे थे मिनीमाता का परिवार वहाँ का महंत परिवार था। गुरुगोसाई  अगमदास ने  विवाह का प्रस्ताव मिनीमाता (मीनाक्षी देवी )के माता-पिता से की। मिनीमाता का विवाह गुरु अगमदास से १९३२ में हुआ।विवाह के पश्चात वो छत्तीसगढ़ आ गए।

राजमाता - 
  मिनीनता (मीनाक्षी देवी ) का विवाह गुरु परिवार में होने के साथ ही उनके समाज सेवा, देश प्रेम को देख कर लोग उन्हें राज माता कहा करते थे। गुरु अगम दस जी सच्चे देश भक्त थे। मिनीमाता इनके सानिध्य में आकर  देश सेवा में शामिल हो गयी। मिनीमाता में गुरु की प्रेरणा से स्वाधीनता के आंदोलन समाज सुधार और मानव उत्थान कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गुरु के निर्देश पर छत्तीसगढ़ का पूरा सतनामी समाज राष्ट्रीय आंदोलन में "हिरावल दस्ता " के रूप में  आंदोलन में कूद पड़ा। माता सत्याग्रहियों को हमेशा संरक्षण देती।  निराश्रितों का पोषण कराती। और उनको माँ का प्यार देती।  इस लिए उन्हे लोग  ममतामयी मिनीमाता कहा करते थे।  
राजनितिक सफर  - 
आपका राजनितिक सफर 1952 से प्रारम्भ होता है।  1952 -1957 , -1962 , -1967 ,-1972  तक कांग्रेस  के टिकट से संसद  बने आपका अंतिम लोकसभा क्षेत्र -जांजगीर चांपा था। आपको हिंदी अंग्रेजी ,बांग्ला असमिया,और छत्तीसगढ़ी भाषाओं  का विशेष ज्ञान रखती थी।  
ममतामयी मिनीमाता सांसद में जाने वाली छत्तीसगढ़ की पहली महिला बनी।  मिनीमाता 1952  से 1971 तक सांसद के पद पर अपने दायित्वो  का निर्वहन बखूबी किया सहज और सरल व्यक्तित्व की धनि मिनिमता ने आपना पूरा जीवन मानव सेवा में लगा दिया। सांसद में रहते हुए अस्पृश्यता निवारण अधिनियम को पास कराने  पर विशेष  जोर दिया। अस्पृश्यता निवारण कानून आने पर उन्हें दलितों का मसीहा माना जाने लगा । मिनीमाता गरीबो सेलेकर अमीरो तक सभी का सहयोग करती थी।  मुंगेली क्षेत्र में हुए दंगे जिसमे 5 निरपराध लोगों की हत्या हुए  उनकी चीत्कार से पुरे सांसद को हिला दिया इसा मामले को मिनीमाता ने जोर सोर से उठाया।
मानव सेवा -
 मिनीमाता का पूरा जीवन समाज सेवा और मानव सेवा में बित गया जबतक जीवित थी मानव सेवा करती रही। ममतामयी मिनीमाता पिछडो ,दलितों , निराश्रितों ,नारी शिक्षा ,उनके उत्थान का कार्य जीवनभर करती रही।  जब वे सांसद थी दिल्ली में तो उनका घर  धर्मशाला के सामान हुआ करता था वहां जरुरत मंद लोगो को वहां  भी आश्रय दिया करती थी। गरीब लड़िकियों को अपने पास रख कर पढ़ाती  थी। उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ईच्छ रखने वाली  लड़कियों को प्रोत्साहित किया करती थी और उनके आगेबढने के लिए प्रबंध भी कीया करती थी इन्होने मानव कल्याण ,नारिउत्थान ,किसान,मजदुर, बालविवाह ,दहेजप्रथा, छुवाछुत के  कानून ,छत्तीसगढ़ राज्य के लिए आंदोलन जैसे अनेको कार्यों और योजनावों को सांसद में उठाया और  मानव हितकर योजना को पास कराने में  महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। "छत्तीसगढ़ मजदुर कल्याण संघ भिलाई "
की स्थापना की.छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक मंडल की अध्यक्ष भी रही।
मृत्यु 
मिनीमाता  ममता की प्रतिमूर्ति थी वो एक कर्मठ सांसद थी और पुरजीवन समाज सेवा में अर्पित कर दिया  11 अगस्त 1972 को एक विमान दुर्घटना में उनका निधन हो गया इनके साथ विमान में सवार सभी यात्रीयों का निधन हो गया।
मिनीमाता के नाम पर सम्मान की स्थापना -
छत्तीसगढ़ शसन द्वारा महिला उत्थान  में उत्कृष्ट योगदान देनेवाले को मिनीमाता सम्मान से नवाजा जाता है।
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