छत्तीसगढ़ में जनजाति विद्रोह कब -कब हुआ - परीक्षा में हमेशा पूछे जाने वाले सवाल- CGGK




छत्तीसगढ़ में जनजाति विद्रोह काकतीय वंश के शासन काल से प्रारम्भ हो गया था। इसके मुख्य कारण था की उनकी संस्कृति ,जनजाति का शोषण व अन्य कारण तथे जिनके कारण जनजाति विद्रोह दंडकारण्य क्षेत्र में प्रारम्भ हो गया था।  कही कही पर उत्तराधिकार के लिए भी विद्रोह हुआ।  छत्तीसगढ़ में जनजातियों का पहला विद्रोह हल्बा विद्रोह से प्रारम्भ हुआ जनजातियों की ज्यादातर विद्रोह जल, जंगल ,जमीन की लड़ाई थी। जिसके लिए उन्हें समय समय पर विद्रोह करना पड़ा।

हल्बा विद्रोह -

वर्ष -1774 से 1777 तक 
स्थान - बस्तर 
कारण - उत्तराधिकारी युद्ध 
नेतृत्वकर्ता - अजमेस सिंह 
परिणाम - 1777 में अजमेर सिंह के मृत्यु के पश्चात् समाप्त का दिया गया  इसमें अजमेर सिंह का साथ हल्बा जनजाति के लोग साथ दिया। 

भोपालपटनम विद्रोह -

वर्ष - 1795 
स्थान - बीजापुर 
घटना - कैप्टन ब्लांड को इंद्रावती नदी पर रोकना 
नेतृत्व - सम्पूर्ण गोंड  जनजाति 
शासक - दरियादेव 

परल कोट विद्रोह - 

वर्ष - 1824 से 1825 तक 
नेतृत्व कर्ता -ठा. गेंदसिंह(परलकोट के जमींदार )
स्थान - परलकोट अबूझमाड़ क्षेत्र नारायणपुर 
प्रतिक - धावड़ा वृक्ष की टहनी 
कारण - अंग्रेज मैराथन के शोषण के खिलाफ 
शासक - महीपालदेव 
ब्रिटिश अधिकारी - के.एगन्यु 
विद्रोह को दबानेवाले -के.पेबे 
परिणाम - 25 जनवरी1825  को गेंदसिंह को फांसी दे दी गयी। 

तारापुर विद्रोह - 
 
वर्ष - 1842 से 1854 तक 
स्थान - जगदलपुर  बस्तर 
कारण - मराठो  द्वारा कर में वृद्धि 
नेतृत्व कर्ता - दलगंजन सिंह (तारापुर परगना प्रमुख )/ शासक भूपाल देव का भाई
परिणाम - सफल रहा मराठों द्वारा  वापिस लिया गया
मेरिया /माड़िया विद्रोह - 

वर्ष - 1842 से 1863 तक
मेरिया का अर्थ - जिस व्यक्ति की बलि दी जाती थी उसे मेरिया कहा जाता था
स्थान - दंतेश्वरी मंदिर दंतेवाड़ा
कारण - सांस्कृतिक हस्तक्षेप के कारण
नेतृत्वकर्ता - हाड़िमा मांझी
परिणाम - असफल रहा
विशेष - इस विद्रोह के समय अंग्रेजों ने काकतीय वंश के शासक भूपाल देव पर महाभियोग लगाया था और जिस व्यक्ति की बलि दंतेश्वरी मंदिर में दी जाती थी उसे मेरिया कहा जाता था।

लिंगागिरी विद्रोह - (महामुक्ति संग्राम )

वर्ष - 1856
स्थान - लिंगागिरी भोपालपटनम (जीजापुर )
शासक - भैरमदेव
नेतृत्वकर्ता - धुरवाराम माड़िया
कारण - बस्तर  को अंग्रेजी साम्राज्य में मिलाने के विरोध में एवं अग्रेजो के अत्याचार के कारण
परिणाम - धुर्वाराम को फांसी दिया गया (धुर्वाराम  बस्तर का दूसरा शहीद )
विशेष - ये पहला सशस्त्र विद्रोह कहा गया

कोई विद्रोह - 

वर्ष - 1859 में
कारण - वृक्षों की कटाई के विरुद्ध में , अंग्रेजो द्वारा साल वृक्ष की कटाई की जारही थी जिसके विरोध में हुआ
नारा - एक साल के पीछे एक सिर
नेतृत्वकर्ता - नागर दोरला
सहयोगी - रामभोई ,जग्गा राजू
शासक - भैरम देव
परिणाम - सफल रहा अंग्रेजो ने कटाई रुकवा दी।
विशेष - अंग्रेजो के विरुद्ध प्रथम सफल आंदोलन।
          इसे चिपको आंदोलन से सम्बंधित  माना जाता है

मुरिया विद्रोह -

वर्ष - 1876
नेतृत्वकर्ता- झाड़ा सिरहा
प्रतिक - आमवृक्ष की टहनी
विद्रोह को दबाया - मैक जार्ज
विशेष -मुरिया विद्रोह को बस्तर का स्वाधीनता संग्राम कहा जाता है।
परिणाम - २ मार्च 1876 को बस्तर का कला दिवस मानाया गया।  जीसके बाद  मैक जार्ज द्वारा ८ मार्च को जगदलपुर में मुरिया दरबार का आयोजन किया गया।
भूमकाल विद्रोह -

वर्ष - 1910
नेतृत्वकर्ता - गुण्डाधुर (नेतानार के जमींदार )
मार्गदशन - 1 बस्तर के राजमाता स्वर्ण कुंवर
                   2 राजकुमार लाला कालेन्द्रसिंह
नारा - बस्तर आदिवासियों का है।
शासक - रुद्रप्रताप देव
प्रतिक - लाल मिर्च ,भाला  तीर बाण , वृक्ष की टहनी ,
मुखबिर - सोनू मांझी
दमनकर्ता - कैप्टन गेयर
अंतिम सामना - विद्रोहियों और अंग्रेजो के बिच अलवार में हुआ
परिणाम - असफल रहा छत्तीसगढ़ में नागवंशी शासन काल

 छत्तीसगढ़ की और विशेष सामान्यज्ञान यहाँ देखें 

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