सरगुजा जिला का इतिहास -CGGK

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नमस्कार साथियों हमारे पिछले पोस्ट में जशपुर जिला का इतिहास और जशपुर जिला के पर्यटन स्थल के बारे में बताया गया है।  

                 आज हम इस आर्टिकल में सरगुजा जिला का इतिहास के बारे में जानेंगे इसके लिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। 

विषय सूचि -

1.सरगुजा जिला की सामान्य जानकारी एक नज़र  -
     a- स्थापना 
     b - नामकरण 

2 .ऐतिहासिक परिदृश्य

3 भगौलिक स्थिति -

1 सरगुजा जिला की सामान्य जानकारी एक नजर - 

छत्तीसगढ़ के उत्तर में  बसा जिला प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर जिला है सरगुजा जिसका मुख्यालय अंबिकापुर है।  ये जिला जनजाति बाहुल्य  जिला है। 

           इस जिले की कुल क्षेत्रफल 5732 वर्ग किमी है। जिले में कुल तहसील की संख्या -07 (अम्बिकापुर ,लखनपुर ,उदैपुर धौरपुर ,बतौली ,सीतापुर मैनपाठ) है। सरगुजा जिला की सीमा सूरजपुर ,बलरामपुर ,जशपुर ,रायगढ़ ,कोरबा से लगा हुआ है। 


सरगुजा जिला में कुलपंचायतों की संख्या - 439 है इसमें एक नगरनिगम और 2 नगरपंचायत है ,सरगुजा जिले की कुल आबादी 2359886 है,जिसमे महिला -1,166,757और पुरुष जनसंख्या -1,193,129 जिसकी साक्षरता दर -61.16  %है।  जिला में लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों में 976 महिला है।  

इस जिले की प्रमुख आबादी जनजाति(आदिवासी) आबादी है। इस जिले में दो जनजाति समूह "पंडो"और "कोरवा" जनजाति समूह है।  जो पांडो जनजाति अपने आप को महाभारत काल के "पांडव" के वंसज मानते है वही "कोरवा"  जनजाति के लोग अपने आप को 'कौरव" के वंशज मानते है। 

सरगुजा जिला का मुख्य खनिज बाक्साईड है। छत्तीसगढ़ में बाक्साईड  का सर्वाधिक भण्डारण वाला जिला है। 

a  स्थापना- 
इस जिले की स्थापना 1 जनवरी 1948 में हुआ था। जो मध्यप्रदेश के निर्माण के बाद 1 नवम्बर 1956 को मध्यप्रदेश में शामिल किया गया।  सरगुजा जिला का विभाजन कर सबसे पहली सन् 1998 को कोरिया जिला का निर्माण किया गया।  

1 नवम्बर 2000  जब छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ,तब  छत्तीसगढ़ के हिस्से में आ गया। सन् 2012 में इस जिले को और दो भागो में बांटा गया और सूरजपुर और बलरामपुर जिला का निर्माण  किया गया।  

b नामकरण - 
सरगुजा जिला का  सरगुजा  पड़ा इसके बारे में वास्तविक जानकारी नहीं है परन्तु इस अंचल में सरगुजा किसी एक स्थान का नाम सरगुजा नहीं है परन्तु पुरे अंचल को सरगुजा के नाम से जानते है। 

इस जिले को जंहा रामायण काल में  दंडकारण्य कहा जाता था। और दसवीं शताब्दी में इसे डांडोर के नाम से जाना जाता रहा। 
सरगुजा की अंग्रेजी भाषा में लिखने पर SURGUJA  लिखा जाता है।  इस आधार पर प्राचीन मान्यताओं के अनुसार निम्न नाम दिए गए। -
 सुरगुजा = सुर+गजा (अर्थात सुर = देवता और गजा = हांथी  देवताओ और हाथियों की धरती )
                    सुरगुंजा = सुर +गूंजा (अर्थात आदिवासियों के लोक गीतों का गुंजन ) 


2 .ऐतिहासिक परिदृश्य- 

सरगुजा जिला प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण है। सरगुजा जिला का इतिहास यंहा की गुफा और मंदिरों में आज भी विद्धमान है। पत्थरों की नक्काशी पुरातन अवशेष उपस्थित है।  इन नक्काशीयों में ईसा पूर्व की अवशेष भी दिखाई देती है। विश्व की प्राचीनतम नाट्यशाळा सरगुजा जिला के रामगढ की पहाड़ी में आज भी स्थित है। 

सरगुजा के प्राचीन इतिहास में 3 ईसापूर्व से पहले मौर्य वंश से पहले इस क्षेत्र में नंदा कबीले का आगमन था।  इस बाद एक राजपूत राजा राजा पलामू  जो बिहार के निवासी थे उनके अधीन आ गया।  राजा पलामू राक्षल कबीले से सम्बंधित रखते थे।  

1820 में अमरसिंह सरगुजा क्षेत्र के राजा थे जिन्होंने 1826 में महाराजा के रूप  शासन प्रारम्भ किया।  1882 को रघुनाथशरण सिंहदेव ने अपना नियंत्रण कायम किया।  और भगवान दफारी द्वारा "महराजा" के रूप में सम्मानित किया गया। 

3 भगौलिक स्थिति -

सरगुजा जिला का भूगोल जिला की प्राकृतिक सुंदरता को पाठ प्रदेश है  जिले का 58 % भाग वनाच्छादित भाग है।   में कनहर नदी और रिहन्द प्रमुख नदी है।  पर्वत की अधिकतम ऊंचाई समुद्र तल से 4024 फिट या 1226 मीटर है।  सबसे ऊँची छोटी माइलन की है यदि समुद्र तल से औसत उचाई 609 मीटर है।  

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कनहर नदी -
कनहर नदी का उद्गम खुड़िया पठार पर गिद्धा ढोंढा  से हुआ है।  इसकी सहायक नदियां - सुरिया ,चना ,सेंदुर ,और कुरसा एक किनारे से और दूसरे किनारे से गलफुल्ला ,सेमरखार ,छेरना नाला आकर मिलते है।  ये नदी जिले में  कुल 100 किमी तक बहती है। 

बलरामपुर जिला के पास पावई झरना 61 मीटर ऊँची  है 

रिहन्द नदी - 
उद्गम - मतिरंगा की पहाड़ी मैनपाठ से  ये नदी जिले में 160 किमी प्रवाह कराती है।  इसकी प्रमुख सहायक -नदी   महन , मोरनी , (मोराना ) गऊर , गागर , गोबरी ,पिपरकचर रामदिया।  

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