;जशपुर जिला के महत्वपूर्ण दर्शनीय एवं पर्यटन स्थल -CGGK


 नमस्कार  साथियों अपने पिछले आर्टिकल में हमने जशपुर जिला का इतिहास और उसका स्थापना कब हुआ,इसके बारे में जानकारी प्रदान की थी। 

आज हम  जशपुर जिला के पर्यटन स्थल एवं दर्शनीय स्थल के बारे में बताने जा रहे है।  आशा करते हैं आपको जरूर पसंद आएगा। यहां दी गयी जानकारी आपके पर्यटन और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में मदद करेगा। 

हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC)  और छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल (CGVYAPAM) ,और अन्य विभागिय  परीक्षा की तैयारी में भी मदद मिलेगी। 

जशपुर जिला के पर्यटन एवं दर्शनीय स्थल -


1 कैलाशगुफा 

2 राजपुरी झरना 

3  दानपुरी झरना 

4  रानी दाह  झरना 

5  खुडियारानी  गुफा 

6  कैथेड्रल चर्च (कैथोलिक चर्च ) कुनकुरी 

7 दमेरा

8 बादलखोर अभ्यारण्य 


1 कैलाशगुफा (kailash cav)- 
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छत्तीसगढ़ का उत्तरीय भाग प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण है इसमें से एक जिला जशपुर भी है।  कैलाश गुफा पहाड़ों को  काट कर तैयार किया गया है।  इसके पास में ही पर्वत से निकलता पानी का स्रोत है जो इसकी  और सुंदरता बढ़ा देती है।

कैलाशगुफा  जशपुर जिले के बगीचा तहसील में स्थित है , जो बगीचा मुख्यालय से 29 कि. मी  की दुरी में स्थित है।  इस स्थान में सावन महीने में पुरे माह मेला लगा होता है। यहाँ लोग शिव मंदिर में कांवड़ लेके पहुंचते है और महाशिवरात्रि  में 3 दिवस का मेला लगता है।

कैलाश गुफा की महत्वपूर्ण बातें -

इस गुफा की खोज लगभग 1985 के आसपास मन जाता है।

इस गुफा की खोज रामेश्वर गुरु गहिरा जी ने की थी।

इस गुफा के ऊपर एक शिव लिंग है जिसे बूढ़ा शिव कहते है।

कैलाश गुफा  के पास एक बहुत बड़ा झरना(WATER FALL) है जिसे अलकनंदा कहते है।

इस गुफा के समीप सामरबार संस्कृत महाविद्यालय स्थित है। 

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2 राजपुरी झरना (RAJPURI WATERFALL)-

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 ये झरना प्राकृतिक प्रेमियों के लिए स्वर्ग सा लगता है। आप सभी जानते है की जशपुर जिला पर्वत ,पाठ ,और जंगलों के बिच बसा हुआ है।  इस झरने की प्राकृतिक सुंदरता देखते ही बनती है।  ये झरना पर्वतों के बिच निकलती है। 

इसकी दुरी मुख्यालय से 90 किमी प्राकृतिकी गोद में स्थित है।  

3  दानपुरी झरना (DAANPURI WATERFALL) -


दानपूरी  झरना जशपुर जिला मुख्यालय से 2 घंटे की सफर के बाद, ये झरना जंगलों के बीच सुंदर और मनमोहक दृश्य को अपने आप मे समेटे हुए है ।यहाँ पर्यटक इसकी खूबसूरती मनमोहक दृश्य को देख कर मंत्रमुग्द हो जाते है ।ये झरना जंगलों के बीचोबीच स्थित है ।

4 रानीदाह झरना (rani dah waterfall) -

 रानीदाह जलप्रपात  - जशपुर जिला मुख्यालय से 15 कि.मी  की दुरी पर जंगल और पहाड़ों के बिच घिरा हुआ अपने मनोरम छटा के लिए प्रसिद्द है ,यहाँ आनेवाले आगंतुकों को भाता है। यहाँ के प्राकृतिक रूप से पानी का पल पर्यटकों को  बरबस अपनी ओर खींचता।

जलप्रपात के समीप महाकालेश्वर का मंदिर है ,जो  इसका धार्मिक महत्त्व को भी दर्शाता है।  यहाँ पर ऐतिहासिक स्थल पंचमैया भी स्थित है।

 5 खुडीयारानी गुफा -(khudiya rani cav)

    खुड़िया रानी गुफा एक धार्मिक  ऐतिहासिक ,और पर्यटन के दृष्टि से जशपुर जिला के महत्वपूर्ण स्थान में से एक  है। 

खुडियारानी गुफा बगीचा तहसील  जशपुर जिला के अंतर्गत आता है। इसकी दुरी जिला मुख्यालय से 135 कि.मी है   इसकी सुंदरता अलौकिक है। इसके चारो ओर हरेभरे पर्वत  इसकी  सुंदरता को  और बढाती है। 

ये गुफा अपने आप में अलौकिक है। यहाँ मूर्तिकला और स्थापत्य कला का स्पष्ट उदाहरण  दिखती है। यहाँ गुफा में उकेरे गए शिलालेख इसकी ऐतिहासिक महत्त्व को दर्शाता है। 

इन्हे भी पढ़ें -छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला का इतिहास

6  कैथेड्रल चर्च (कैथोलिक चर्च ) कुनकुरी - 

इस गिरिजाघर का निर्माण 1962 को प्रारम्भ हुआ था।  और ये एशिया का सबसे बड़ा दूसरा चर्च है।  जहाँ लोग बड़ी संख्या में प्रार्थना करने जाते है।  इसे 27 अक्टूबर 1969  को खोला गया।  इस गिरिजाघर (चर्च) में कुल सात पवित्र खम्भे है जो लोहे के बने हुए है।  

यहाँ बड़ी संख्या में पर्यटक  आते है और इसकी सुंदरता को निहारते ही रह  जाते है। यहाँ देश विदेश  से लोग देखने आते है। ये गिरिजाघर अपनी सुंदरता के लिए देश भर में प्रशिद्ध है।  

7 दमेरा-

 दमेरा एक प्राकृतिक पर्यटन  के साथ - साथ धार्मिक स्थल स्थल भी है। यहाँ पर प्रकृतिक झरना बहती है।  जिसकी  मनोरम छटा और कानों को मीठे लगने  वाली ध्वनि इसकी प्राकृतिक सुंदरता की कहानी कहती है। 

यहाँ हरवर्ष रामनवमी और कार्तिक पूर्णिमा को मेला लगता है।  ये जशपुर जिला के दक्षिणी भाग में स्थित है।  

 8 बादलखोर अभ्यारण्य -


साथियों इसके बारे में तो आप सभी जानते होंगे क्योकि इस अभ्यारण्य को छत्तीसगढ़ के सबसे छोटें  अभ्यारण्य के नाम से जानते है।  इस अभ्यराण्य की कुल क्षेत्रफल  104 वर्ग किमी  है। 

इसकी दुरी जिला मुख्यालय से लगभग ९० किमी है इसे 1975 में अभ्यारण्य घोसित किया गया था। 

ये अभ्यारण्य अपने अवषधि पौधों के लिए प्रशिद्ध है। यहाँ औषधिय पौधे में -सतावर सफ़ेद मुशली ,कालिमुशली 
तिखरू,चिरायता आदि पाए  जाते है।  

छत्तीसगढ़ की और जानकारी - 

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