मृत्युभोज अधिनियम 1960
जानकारी देने जा रहे है। मृत्यु भोज अधिनियम 1960 राजस्थान में लागु किया गया। राजस्थान सरकार द्वारा मृत्यु भोज बंद करने के लिए अपने गज़ट में 10 /02/1960 को प्रकाशित किया। जिस पर राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर कर तीसरे दिन सहमती दे दी गयी।
आओ जाने मृत्युभोज निषेध अधिनियम 1960 क्या है ?
मृत्यु भोज निषेध कानून जिसमे गंगा प्रसादी धार्मिक रूप से किसी भी पंडो पुजारियों के लिए धार्मिक संस्कार और परंपरा के नाम पर किसी प्रकार के मृत्युभोज का आयोजन करना कानूनन अपराध है।
मृत्युभोज क्या है -
मृत्युभोज किसी भी व्यक्ति के यहाँ यदि उनके किसी परिजन की मृत्यु हो जाती है तो मृत्यु के उपरांत धार्मिक परंपरा मानते हुए अपने समाज के लोगों को बुलाकर भोज का आयोजन करना जिसमे गंगा प्रसादी ,नुक्ता ,मौसर अदि मृत्यु के बाद कराये जाने वाला भोज मृत्यु कहलाता है।
मृत्युभोज निषेध कानून की धाराएँ -
धारा - 2 किसी परिजन की मृत्यु हो जाने पर किसी भी समय कराये जाने वाला भोज नुक्ता मौसर , गंगाप्रसादी मृत्यु भोज कहलाता है।
कोई भी व्यक्ति अपने परिजन समाज पंडो पुजारियों के संस्कार या परंपरा के नाम पर मृत्यु भोज का आयोजन नहीं करेगा। -मृत्युभोज कराने वाले और उसमे शामिल होना दोनों अपराध है।
धारा -4 में लिखा है धारा 3 अनुसार यदि कोई व्यक्ति मृत्यु भोज के लिए उकसायेगा या साथ देगा ,या प्रेरित करता है उसको एक वर्ष का साधारण कारावास और 1000 रुपये जुर्माना।
धारा 5 में लिखा है की स्थानीय जनप्रतिनिधि (पंच ,सरपंच) एवं पटवारी , लम्बरदार , ग्राम सेवक का दायित्व बनता है जैसे ही उनको मृत्युभोज के बारे में जानकारी प्रदान होती है तो वो तुरंत न्यायिक मजिस्ट्रेड के पास प्रार्थना पत्र लेकर रुकवा सकते है।
धारा 6 में लिखा है यदि कोई व्यक्ति धारा 5 की बातों को नहीं मनाता है। तो उसे १ वर्ष का कारावास और 1 हजार रुपये जुर्माना
धारा 7 में लिखा गया है की यदि पंच सरपंच पटवारी या ग्रामसेवक इसके बारे में बताते है तो उन्हें भी सजा का प्रावधान है। इसमें तीन माह तक की सजा हो सकता है।
धारा 8 में लिखा है यदि कोई व्यक्ति सेठ, माहंजन साहूकार या दूकानदार कोई हो मृत्युभोज के लिए रूपया या सामान उधार देता है तो उन्हें उस रूपए को वसूलने का अधिकार नहीं होगा। और उसके द्वारा दिए गए सामान भी जप्त कर लिया जायेगा।
राजस्थान पहला राज्य जिसने मृत्युभोज पर प्रतिबन्ध लगाया।
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