ममता चंद्राकर बनीं इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ कुलपति राज्यपाल ने किया न्युक्त

छत्तीसगढ़ की इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ का नया कुलपति बनाया गया।  इससे पहले प्रो मांडवी सिंह 10 मई 2019 से सेवानिवृत होने के बाद ,अब पद्मश्री ममता चंद्राकर होंगी नया कुलपति।  राज्यपाल ने ममता चंद्राकर को कुलपति न्युक्त किया। 

ममता चंद्राकर छ्त्तीसगढ़ की मशहूर लोक गायिका है जिन्होंने छत्तीसगढ़ की राजकीय गीत " अरपा पैरी के धार"को स्वर दिया है । 
ममता चंद्राकर का वास्तविक नाम (मोक्षदा चंद्राकर) है ।इन्हें 2016 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है । साथ ही छत्तीसगढ़ रत्न  से भी अलंकृत किया जा चुका है छत्तीसगढ़ रत्न अलंकरण इन्हें 2013 में प्रदान किया गया था ।

ममता चंद्राकर आकाशवाणी रायपुर में  कार्यक्रम निदेशक के पद पर कार्यरत थी ।और 2018 में सेवानिवृत्त हो गयी है । 

देश विदेश में अपने कला का प्रदर्शन कर चूंकि ममता चंद्राकर को अब छत्तीसगढ़ में स्थित एशिया के प्रथम कला  संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ की नया कुलपति बनाया गया है ।  

ममता चंद्राकर को  इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ द्वारा डी लिट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया जा चुका है ।
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संक्षिप्त जीवन परिचय - 

ममता चंद्राकर का जन्म 3 दिसंबर 1958 को हुआ , इनके पिता का नाम दाऊ मानसिंह चंद्राकर  जी जो छत्तीसगढ़ी कोल कला के पक्षधर थे ।और वो खुद छत्तीसगढ़ी लोक गीत गया करते थे। ममता चंद्राकर जी के प्रथम गुरु उनके पिता थे।   ममता चंद्राकर बचपन से ही लोक संगीत में रुचि रखती थी । इनका निवास दुर्ग में है,इनके जीवनसाथी श्री प्रेमचंद्रकर ,बच्चे-पूर्वी चंद्राकर  है ।

 इन्होंने 1982 से 2018 तक आकाशवाणी रायपुर में कार्यक्रम प्रमुख के रूप में कार्य किया । इन्हें  भारत सरकार द्वारा 2016 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया ।  2017 में ही इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ द्वारा  डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया ।

ममता चंद्राकर छ्त्तीसगढ़ की स्वर कोकिला की नाम से जानी जाती है । इंहोने ही छत्तीसगढ़ की राजकीय गीत "अरपा पैरी के धार ,महानदी हे आपार" को अपना स्वर दिया है ।

ममत चंद्राकर की गायन छत्तीसगढ़ के सभी लोक गीत का कोई क्षेत्र छुटा नही है   इंसान के जन्म से मरण तक के गीतों को गया है ।ऐसा कोई  धार्मिक और मांगलिक कार्य  नही होगा जंहा इनका गीत नही बजता हो ।

छत्तीसगढ़ की पारंपरिक  लोक गीत कर्मा, ददरिया ,सुवा,पंथी, गउरा गौरी फाग ,जसगीत, बिहाव,गीत ,इसके अलावा वो भरथरी ,लोरिकचंदा गीतों की प्रस्तुति  इनके  द्वारा किया जाता है । 
छत्तीसगढ़ी सिनेमा भी इनके आवाज से अछूता नही हैं इन्होंने कई छत्तीसगढ़ी फिल्मो में अपने आवाज की जादू बिखेरा है ।

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पुरस्कार एवं सम्मान - 

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1* 1977 से आकाशवाणी ने  लोकसंगीत कलाकार के रूप में मान्यता दी ।

2* 1984 में आकाशवाणी की वार्षिक प्रतियोगिता में छत्तीसगढ़ी नाचा पर आधारित लोक नृत्य से छत्तीसगढ़ी जीवन पर  आधारित नाच के लिए अखिलभारतीय स्तर पर मेरिट सर्टिफिकेट प्रदान किया गया ।

3* 1992 में लोक संगीत के लिए ए ग्रेट प्रदान किया गया ।

4* 2012 में आपको छ्त्तीसगढ़ राज्य अलंकरण समारोह में लोक कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट सम्मान दाऊ मंदराजी सम्मान से तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया ।

5* 2013 में लोक संगीत के लिए टॉप ग्रेट प्रदान किया गया । 

6*  2013 में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा छ्त्तीसगढ़ रत्न के उपाधि से सम्मानित किया गया ।

7*  वर्ष 2016 में 12अप्रैल को राष्ट्रपति भवन दिल्ली में नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया ।

8* वर्ष 2017 में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ द्वारा डी लिट की मानद उपाधि द्वारा सम्मानित किया गया ।

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