गुप्त काल के साहित्यGK / Gupta period literature GK



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गुप्तकाल में कला  साहित्य और विज्ञान के विकास के लिए ही ,स्वर्ण युग कहा जाता है। इस युग में ही कला और साहित्य के महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना हुआ है।  जिसे विश्व में स्थान मिला है।  अभिज्ञानशाकुंतलम कालिदास की रचना जिसे विश्व के टॉप 100  ग्रंथों में एक मन जाता है।
                              
अभिज्ञानशाकुंतलम भारत की पहली रचना है जिसका सबसे पहले यूरोपीय भाषा में अनुवाद किया गया। शून्य का अविष्कार भी गुप्त काल में हुआ  था।

गुप्त काल के साहित्य और उसके रचनाकार-

नाटक -

1 अभिज्ञानशाकुंतलम - रचनाकार -कालिदास
इसमें दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कहानी है।

2 मालविकाग्निमित्र - कालिदास 
अग्निमित्र व मालविका की प्रेमकथा

3 .विक्रमोर्वशीयम - रचनाकार - कालिदास 
सम्राट पुरुरवा और उर्वशी अप्सरा की प्रेमकथा।

4. मुद्राराक्षस - रचनाकार - विशाखदत्त 
चन्द्रगुप्त के मगध के सिहासन पर बैठने की कथा का  वर्णन

5 मृच्छकटिकम- रचनाकार - शूद्रक 
इस नाटक में नायक चारुदत्त नायिका वसंतसेना के साथ राजा ब्राह्मण जुवारी और व्यापारी वेश्या चोर और धुर्तदास का वर्णन है

6 देवीचंद्रगुप्तम- विशाखदत्त 
चन्द्रगुप्त द्वारा शकराज का वध कर ध्रुवस्वामिनी से विवाह का वर्णन

7 चारुदत्तम - भास 
चारुदत्त मूलतः भास  की कल्पना है।

8 प्रतिज्ञयोगंधारायणं -भास 
महाराज उदयनी किस तरह  योगधारायण की सहायता से वासवदत्ता को  उज्जयनी  लेकर भागने का वर्णन

9 स्वप्नवासवदत्ता - भास 
उदयनी व वासवदत्ता की प्रेम कथा

अन्य महत्वपूर्ण साहित्य - 

मेघदूतम - कालिदास
ऋतुसंहारम -कालिदास
कुमारसम्भवम -कालिदास
रघुवंशम - कालिदास
दशकुमारचरित -दण्डिन
काव्यदर्शन-दण्डिन


न्यायावतार -सिद्धसेन -       
पंचतंत्र - विष्णुशर्मा
चरकसहिता -चरक
ब्रम्हसिंद्धांत  आर्यभट्ट
विशुद्धिमग्ग - बुद्धघोष
योगाचार्य -असग
उरुभंग -भास
किरातार्जुनियम - भरवी
अमरकोश - अमरसिंघ
रावणवध - वातस्भट्टी
चन्द्रव्याकरण - चन्द्रगोमिन
वृहत्सहिता - वराहमिहिर
पंचसिद्धांतिका - वराहमिहिर
आर्यभटीयम -आर्यभट्ट

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गुप्त कालीन साहित्य की विशेषता

* गुप्तकालीन साहित्य की रचना  मुख्यत : संस्कृत भाषा में लिखा गया है।
* गुप्तकालीन सभी नाटक का अंत शुखान्त है।
* गुप्तकाल में पाणिनि और पतंजलि के ग्रंथो के आधार पर संस्कृत व्याकरण का विकास हुआ।
* अमरकोष का संकलन चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरबार के नवरत्न अमरसिंह ने किया था जो प्राचीन रीति से संस्कृत पढने वाले छात्रों के लिए महत्वपूर्ण था।
* गुप्तकाल में शासकीय भाषा (दरबार की भाषा ) संस्कृत थी।
* गुप्तकाल में बौध्द दर्शन   पर अनेक ग्रंथो की रचना हुई। असंग ने योगाचारभूमिशास्त्र , प्रकरणआर्यवाचा , महायानशुत्रालंकार , वज्रक्षेदिका टिका , महायान संपरिग्रह , महायंभीधारमासांगितशास्त्र की रचना की।
* वसुबन्धु ने अभिधर्मकोश लिखा जो बौध्द धर्म के मौलिक सिध्दांतो का  प्रतिपादन करता है।  हिनयानधर्म पर प्रसिद्ध ग्रन्थ विसुद्धमग्ग की रचना की।
* जैन धर्म का ग्रन्थ सिद्धसेन द्वारा रचित न्यायावतार की रचना की है।

विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण  साहित्य एवं विशेषता -

* गणित के क्षेत्र में इस कल का महत्वपूर्ण ग्रन्थ आर्यभट्टीय  है जिसकी रचना आर्यभटट  ने की।  इस रचना में प्रमाणित  किया गया है की पृथ्वी गोल है और अपने धुरी पर चक्कर लगाती है।
*वराहमिहिर ने  ज्योतिष के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रतिपादित किये ,पंचसिद्धांतिका वृहद्सहिता ,वृहज्जातक व लघुसहिता  की रचना किया।
*नागार्जुन  कालीन रसायन शास्त्रीय थे। जिसने रस रसायन की रचना की।
*आयुर्वेद के प्रसिद्द विद्वान् धन्वन्तरि थे।
 *शल्य चिकित्सा शास्त्र आदिप्रवर्तक सुश्रुत और नागार्जुन थे।
*गुप्त काल में ही शून्य और दशमलव प्रणाली का विकास हुआ।

चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरबार के नव रत्न -



      रत्न                   क्षेत्र        रचना 

1 हरिषेण             -कवि    -कविता 
2 वराहमिहिर - खगोलशास्त्र -वृहद्सहिता
3 वररुचि - व्याकरण - व्याकरण संस्कृत
4 धन्वन्तरि - चिकित्सा -आयुर्वेद पुस्तक
5 क्षपणक -ज्योतिष  - ज्योतिषशास्त्र
6 अमरसिंह - शब्दकोष - अमरकोश
7 कालिदास-काव्य नाटक - अभिज्ञानशाकुंतलम ,
8 शंकु - वाश्तुकला -शिल्पशास्त्र
9 वेतालभट्ट -जादू - मंत्रशास्त्र 




गुप्त काल की और महत्वपूर्ण जानकारी -





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