नमस्कार सांथियों आज हम इस पोस्ट में छत्तीसगढ़ के नामकरण के बारे में जानेंगे।१ नवम्बर 2000 में जब छत्तीसगढ़ बना तो , राज्य का नाम छत्तिसगढ़ कैसे पड़ा? इसे जानेगे। छत्तीसगढ़ अपने आप में सभी दृस्टि कोण से समृद्ध राज्य है। छत्तीसगढ़ का नामकरण किस आधार पर किया गया छत्तीसगढ़ को छत्तीसगढ़ क्यों कहा गया छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान किसका रहा।
इसका नाम छत्तीसगढ़ कैसे पड़ा ?
छत्तीसगढ़ महत्त्व क्या है ?
छत्तीसगढ़ शब्द का उल्लेख सबसे पहले कहा मिलता है ?
छत्तीसगढ़ किन -किन नामों से जाना गया?
छत्तीसगढ़ राज्य कैसे बना? ,
छत्तीसगढ़ एक नज़र
छत्तीसगढ़ राज्य को मध्यप्रदेश से अलग कर के बनाया गया। हम यह भी कह सकते है की छत्तीसगढ़ का मातृ राज्य मध्यप्रदेश है। छत्तीसगढ़ राज्य की मांग 1918 से ही चली आ रही थी। छत्तीसगढ़ के प्रथम संकल्पनाकार पं. सुन्दर लाल शर्मा को मन जाता है। 1924 में पृथक राज्य की मांग छत्तीसगढ़ के रूप में कांग्रेस परिसद रायपुर द्वारा की गयी। सुंदरलाल शर्मा ने 1939 त्रिपुरी अधिवेशन में पृथक छत्तीसगढ़ की मांग रखी।
1946 में ठा.प्यारेलाल ने छत्तीसगढ़ शोषण विरोधी मंच की गठन की। 1955 में रामकृष्ण सिंह के द्वारा पृथक छत्तीसगढ़ की मांग विधानसभा में रखा गया। 1956 में छत्तीसगढ़ महा सभा द्वारा छत्तीसगढ़ की मांग सुसंगठित रूप से रखा गया। इसी तरह बहुत से प्रयास किये गए। 1998 में मध्यप्रदेश विधान सभा में प्रस्ताव पारित हुआ। अंत में 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ पृथक राज्य के रूप में आया।
मध्यप्रदेश पुनर्गठन विधेयक 2000 - 25 जुलाई 2000 - लोकसभा में विधेयक पेस किया गया
- 31 जुलाई 2000 -लोकसभा में विधेयक पारित हुआ
- 3 अगस्त 2000 -राजयसभा में पेस गया
- 9 अगस्त 2000 -को राजयसभा में विधेयक पास
- 25 अगस्त 2000 -राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित
राज्य निर्माण हेतु संगठन
- छत्तीसगढ़ शोषण विरोधी मंच -1946 -ठा प्यारेलाल
- छत्तीसगढ़ महा सभा -28 जन.1956 -डॉ खूबचंद बघेल
- छत्तीसगढ़ भातृ संघ - 1967 डॉ खूबचंद बघेल और बैरिस्टर छेदीलाल
- छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा -1976 शंकर गुहा नियोगी
- छत्तीसगढ़ संग्राम मंच - 1983 शंकर गुहा नियोगी
- पृथक छत्तीसगढ़ पार्टी - 1983 - संत पवन दीवान
राष्ट्रपति - श्री के. आर. नारायणन
प्रधानमत्री - अटल बिहारी वाजपई
mp मुख्यमंत्री - दिग्विजय सिंह
छत्तीसगढ़ का इतिहास बहुत प्राचीन है। इसे हर युग में अलग -अलग नामों से जाना जाता था। पहले आते है रामायण काल में छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोसल और बस्तर को दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था।
महाभारत कल में इसे प्राक्कोसल या कोसल के नाम से जाना जाता था। महाजनपद काल में कोसल महा जनपद के नाम से जाना गया। बौद्ध धर्म के अनुसार बौद्ध ग्रन्थ अवदानशतक में इसका नाम दक्षिण कोसल मिलता है। छत्तीसगढ़ लम्बे समय से चेदियवंशी राजाओं के अधीन था जिसके कारन इसका नाम छत्तीसगढ़ पड़ा।
किवदंती के अनुसार बिहार छोड़ कर 36 कुल के लोगों ने 36 घर बनाये जिसके कारण इसका नाम छत्तीसगढ़ पड़ा।
छत्तीसगढ़ में 36 गढ़ होने के कारण इसे छत्तीसगढ़ कहा गया ये 36 गढ़ शिवनाथ नदी के उत्तर और दक्षिण में बांटा गया है। इसके उत्तर में 18 गढ़ और दक्षिण में 18 गढ़ आते है जो रायपुर कलचुरी वंश के अधीन आता था और उत्तर के 18 गढ़ रतनपुर कलचुरी वंश के अधीन आता था।
छत्तीसगढ़ का महत्त्व क्या है ?
छत्तीसगढ़ जनगणना 2011
छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्य है। यहाँ की वन औसधि महत्वपूर्ण है। साथ ही छत्तीसगढ़ के 33 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते है। और इनकी अपनी विभिन्न पृथक संस्कृति है। बस्तर कास्तकारी बहुत ही मत्वपूर्ण है। यहाँ की तीज त्यौहार अपने आप में एक अनूठी है।
छत्तीसगढ़ की विशेष पहचान छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति से मिलता है।
छत्तीसगढ़ शब्द का उल्लेख सबसे पहले कहा मिलता है ?
छत्तीगढ़ शब्द का उल्लेख सबसे पहले साहित्य में 1487 दलराम राव की रचना में मिलती है दलराम राव खैरागढ़ रियासत में चारण कवि रहे है ये राजा लक्ष्मी निधि राय के समकालीन था।
मालिक मोहम्मद जायसी के कविता में रतनपुर का उल्लेख मिलता है। वही गोपाल मिश्र द्वारा 1689 में लिखित खूब तमाशा (काव्य संग्रह ) में छत्तीसगढ़ का उल्लेख मिलता है।
छत्तीसगढ़ किन -किन नामों से जाना गया
छत्तीसगढ़ का नाम सभी मिलता है परन्तु अलग -अलग नामों से मिलता है -
रामायण काल - दक्षिण कोसल
महाभारत काल- कोसल प्राक्कोसल
प्राचीन काल - चेदिसगढ़ -
मुग़ल काल में - रतनपुर राज्य
फिर अंत में छत्तीसगढ़ के नाम से जाना गया।
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छत्तीसगढ़ का इतिहास